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नही सुलझी राजेश की मौत (Death) की गुत्थी

Newsdesk Uttranews
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अल्मोड़ा। जागेश्वर के राजेश की नैनीताल जिले के जंगलों में हुई मौत (Death) की गुत्थी सुलझती नही दिख रही है। मौत के एक माह से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी खुलासा ना होने से उनके घर के लोग परेशान है। उनके परिजन नैनीताल और अल्मोड़ा के जिलाधिकारी और एसएसपी से मिलकर राजेश की मौत का खुलासा किये जाने की गुहार लगा चुके है।

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ज्ञातव्य है कि 26 जनवरी को नेैनीताल के जिले के धारी सरना मटियाल के जंगलों में राजेश भट्ट घायल हो गया था। उसके परिजनों ने उसकी हत्या की आशंका जताते हुए उसके दोस्तों पर शक जताया था। मूलत: जागेश्वर के गोठयुड़ा निवासी राजेश हाल में ग्राम-सिसौना, सैनिक काॅलोनी, तहसील – सितारंगज, जिला- ऊधमसिंहनगर में रह रहे थे।

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वह 13 युवकों के साथ सितारगंज से डोल आश्रम, लमगड़ा घूमने गए थे। उनके परिजनों का आरोप है कि डोल आश्रम से लौटते समय धारी के पास सरना मटियाल के जंगलों में उसके दोस्तों ने राजेश को मारकर जंगल में फेंक दिया। राजेश के परिजनों का आरोप है कि सरना के आसपास के ग्रामीणों ने भी 26 जनवरी की शाम को हो हल्ला सुना। और शोरगुल सुनकर जब सरना के ग्रामीण 7 बजे के आसपास वहां वह पहुंचे तो मौके पर कुछ युवक मौजूद थे। और उन्होंने राजेश(साथी) के लापता होने की बात कही। जबकि उनके कुछ साथी खाई से सड़क की ओर आते दिखे। आरोप है कि जब ग्रामीण उस खाई की ओर जाने लगे तो युवकों ने ग्रामीणों से धक्कामुक्की की। इससके ग्रामीण डर गए और वहां से चले गए। बाद में वह गांव के अन्य लोगों को लेकर आये और उन युवकों से पूछताछ की तो राजेश के साथ आये युवकों ने कहा कि उनका साथी(राजेश) खाई में गिरा है। तब ग्रामीणों के सहयोग से उन्होंने राजेश को खाई से निकाला। बाद में राजेश को वाहन में हल्द्वानी अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने राजेश को मृत घोषित कर दिया।

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राजेश के पिता माधवानन्द भट्ट ने बताया कि घटना के दिन शाम लगभग 6 बजे राजेश ने उन्होंने फोन कर जानकरी दी कि वह अभी रास्ते में है। और उसने उन्हे घंटे दो घंटे में सितारगंज वापस पहुंचने की बात कही थी। और जब उसके पिता ने लगभग एक घंटे बाद जब राजेश को फोन किया तो उसका फोन बंद हो गया था। उन्होने अनहोनी की आशंका से उसके साथ गऐ युवकों को फोन किया तो सभी के फोन बंद थे। आशंकित परिवारजनों ने राजेश के बहनोई प्रमोद सनवाल से राजेश से संबंधित कंपनी के अन्य लोगों से जानकारी लेने के लिए कहा। इसी दौरान कंपनी के किसी जानने वाले ने राजेश के बहनोई को जानकारी दी की राजेश का फोन आन हो गया है। जब राजेश के बहनोई ने राजेश के फोन पर काॅल किया तो घटना के समय मौजूद 13 युवकों में से किसी एक ने फोन उठाया और कहा कि राजेश की स्थिति खराब है आप तुरंत कृष्णा हाॅस्पिटल हल्द्वानी पहुचो। प्रमोद सनवाल ने अपने भाई विजय सनवाल को अस्पताल में भेजा। अस्पताल पहुंचते ही विजय ने प्रमोद को बताया की राजेश की मौत हो चुकी है।

राजेश के​ पिता ने बताया कि राजेश की मौत के दूसरे दिन 27 जनवरी को राजेश के चाचा भगवान भट्ट और परिजन उसके क्षेत्र के पटवारी हेम पलड़िया के घटना स्थल पहुंचे तो आरोपी युवकों में से कुछ लोग घटनास्थल से सड़क की ओर दिखाई दिये। उन्होने आरोप लगाया कि उसके साथ गये इन युवकों ने ही राजेश की हत्या की है और हत्या के सबूत मिटाए हैं। राजेश के परिजनों ने इस बात का जिक्र पटवारी की प्राथमिकी में दर्ज नहीं हानेे पर पटवारी की भूमिका पर भी सवाल उठाये है। इसके बाद 28 जनवरी को को पटवारी ने परिजनों से कहा कि हत्या के कोई सबून न होने के कारण हम युवकों को छोड़ रहे हैं। उसके पिता के अनुसार अब पटवारी बात करने से भी कतरा रहे और उन्हे घटना की निष्पक्ष जांच में संदेह हो रहा है।

मृतक राजेश अपने परिवार को एकलौता पुत्र था और उसका

प​रिवार उस पर ही आश्रित था। उसकी मौत के बाद बूढ़े मां-बाप पत्नी व एक तीन साल की मासूम बेटी के सामने बुनियादी जरूरतों के साथ आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।


राजेश के परिजनों ने घटना के दूसरे दिन स्थानीय ग्रामीण का एक वीडियों भी जारी किया है जिसमें उक्त ग्रामीण के कथनानुसार उसके साथ गये युवकों पर हत्या किये जाने का शक गहरा रहा है। उकसे परिजनों ने उक्त युवकों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने लाई डिटेक्टर टेस्ट करने की मांग की है।

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