देहरादून। उत्तराखंड में प्रतियोगी परीक्षाओं को लेकर हालात एक बार फिर पेचीदा हो गए हैं। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा जून 2026 तक का परीक्षा कैलेंडर जारी किए जाने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि अब राज्य में भर्ती परीक्षाएं तय समय पर होंगी। लेकिन 21 सितंबर को हुई स्नातक स्तरीय परीक्षा में पेपर लीक के खुलासे ने पूरे सिस्टम को हिला दिया है। अब सीबीआई जांच शुरू होने के बाद आयोग का पूरा कार्यक्रम गड़बड़ाने की कगार पर पहुंच गया है।
21 सितंबर को स्नातक स्तरीय परीक्षा के दौरान पेपर लीक होने का मामला सामने आया था। परीक्षा शुरू हुए आधे घंटे के भीतर ही प्रश्नपत्र के फोटो सोशल मीडिया पर फैल गए। जांच में यह खुलासा हुआ कि पेपर हरिद्वार जिले के लक्सर स्थित आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज केंद्र से लीक हुआ था। इस मामले में परीक्षा दे रहे खालिद मलिक और उसकी बहन साबिया को गिरफ्तार किया गया, जबकि टिहरी की असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन को सस्पेंड कर दिया गया। सेंटर से जुड़े सेक्टर मजिस्ट्रेट केएन तिवारी, सब इंस्पेक्टर रोहित कुमार और कांस्टेबल ब्रह्मदत्त जोशी पर भी कार्रवाई की गई।
मामले के तूल पकड़ने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद युवाओं के बीच पहुंचे और उन्होंने न केवल सीबीआई जांच की घोषणा की, बल्कि विरोध कर रहे अभ्यर्थियों पर दर्ज मुकदमे भी वापस लेने का आश्वासन दिया।
इस विवाद के बाद आयोग ने अब तक तीन परीक्षाएं स्थगित या रद्द कर दी हैं। पहले 5 अक्टूबर को होने वाली सहकारी निरीक्षक वर्ग-2 और सहायक विकास अधिकारी सहकारिता परीक्षा को स्थगित किया गया। इसके बाद 12 अक्टूबर को कृषि विभाग के तकनीकी पदों के लिए होने वाली परीक्षा भी रद्द कर दी गई। इन दोनों के अलावा पेपर लीक हुई स्नातक स्तरीय परीक्षा को भी आयोग दोबारा कराने की तैयारी में है।
अब चुनौती यह है कि आयोग ने जून 2026 तक के लिए जिन परीक्षाओं का शेड्यूल जारी किया था, वे सभी प्रभावित हो सकती हैं। 28 अक्टूबर को वन दरोगा, 15 दिसंबर को उपभोक्ता आयोग, 18 जनवरी 2026 को सहायक अध्यापक और 22 फरवरी को वाहन चालक की परीक्षाएं प्रस्तावित हैं। इसके अलावा मार्च, मई और जून 2026 में भी कई बड़ी परीक्षाएं होनी हैं। लेकिन मौजूदा हालात में इन सब पर अनिश्चितता के बादल छा गए हैं।
हालांकि आयोग के अध्यक्ष जीएस मर्तोलिया का कहना है कि पारदर्शिता बनाए रखते हुए सभी परीक्षाएं तय समय पर कराने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए सुरक्षा के कई स्तर तैयार किए जा रहे हैं। प्रश्नपत्रों में क्यूआर कोड और एआई तकनीक का प्रयोग करने पर विचार हो रहा है ताकि भविष्य में किसी भी तरह की नकल या लीक की गुंजाइश न रहे।
नकल विरोधी कानून लागू होने के बाद आयोग ने 13 परीक्षाएं पारदर्शी ढंग से पूरी की थीं, जिससे उम्मीद जगी थी कि अब भर्ती प्रक्रिया में सुधार आएगा। लेकिन हालिया पेपर लीक प्रकरण ने फिर से युवाओं के विश्वास को झटका दिया है। अब सबकी निगाहें सीबीआई जांच और आयोग की अगली रणनीति पर टिकी हैं, जो आने वाले महीनों में तय करेगी कि उत्तराखंड में प्रतियोगी परीक्षाओं का भविष्य कैसा रहेगा।
