उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में पुलिस ने एक लंबे समय से रहस्य बने हुए मामले का खुलासा किया है, जिसमें आरोपी अरविंद चौहान करीब 5 साल 9 महीने तक अपनी पहचान छिपाकर लखनऊ में रह रहा था। वह वहां आईआईएम के पास एक किराए के कमरे में रहकर रिक्शा चला रहा था, जबकि उसके परिवार ने खुद ही उसकी गुमशुदगी और बाद में हत्या की झूठी कहानी गढ़ी थी।
अरविंद कभी अलकेमिस्ट नामक एक निजी कंपनी में काम करता था, जो 2017 में बंद हो गई थी। इससे पहले उसने अपने कई रिश्तेदारों और परिचितों से करोड़ों रुपये लेकर उस कंपनी में निवेश कराया था। जब कंपनी बंद हो गई और लोग अपने पैसे वापस मांगने लगे, तो उसने अचानक सबकुछ छोड़कर फरार होने की योजना बना डाली। 19 जुलाई 2019 को वह अपने मोबाइल को घर पर छोड़कर लखनऊ चला गया और वहां नया सिम लेकर व्हाट्सएप पर अपनी पत्नी से बातचीत करता रहा।
इस पूरी योजना में उसका परिवार भी शामिल था। पत्नी सुनीता ने पहले जहानगंज थाने में उसकी गुमशुदगी दर्ज करवाई, फिर 2019 में हत्या की झूठी रिपोर्ट दर्ज करवा दी। मामले में वासुदेव चौहान और घरबरन चौहान को आरोपी बनाया गया। लेकिन पुलिस की जांच में सच्चाई सामने आई। जब पुलिस ने परिवार के नंबरों की कॉल डिटेल खंगाली तो कुछ संदिग्ध नंबरों से संपर्क का पता चला। इन्हीं सुरागों से पुलिस लखनऊ पहुंची और अरविंद को गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ में अरविंद ने बताया कि उसने अपने रिश्तेदार वासुदेव चौहान से भी 4,42,000 रुपये लिए थे और वह रकम अपनी पत्नी के खाते में ट्रांसफर कर दी थी। इस बात से नाराज होकर वासुदेव ने अरविंद, उसके पिता मुसाफिर चौहान और पत्नी सुनीता के खिलाफ धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। पुलिस अधीक्षक हेमराज मीना ने बताया कि यह मामला न केवल आर्थिक अपराध का है, बल्कि झूठी गुमशुदगी और फर्जी हत्या का नाटक रचकर वर्षों तक कानून को गुमराह करने की कोशिश भी इसमें शामिल रही।