shishu-mandir

कश्मीर के केसर को रास आई पहाड़ की आबोहवा,अल्मोड़ा में वैज्ञानिकों ने कराया सफल उत्पादन

Newsdesk Uttranews
3 Min Read
photo- uttra news

Scientists made a successful production in Kashmir’s Saffron mountain, Almora कश्मीर के केसर को रास आई पहाड़ की आबोहवा

Screenshot-5

new-modern
gyan-vigyan
कश्मीर के केसर को रास आई पहाड़ की आबोहवा

अल्मोड़ा, 05 सितंबर 2020— अल्मोड़ा के कोसी कटारमल स्थित जीबी पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान ने उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में भी केसर उत्पादन का परीक्षण कर लिया है। संस्थान के राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन(एनएमएचएस) के तहत संस्थान परिसर में ही केसर का उत्पादन किया गया है।

संस्थान ने 2018 में परीक्षण के रुप में कश्मीर से लाए गए केसर के बल्बों की बुआई की जिसमें बेहतर उत्पादन हुआ है। इसके बाद 2019 में परीक्षण के लिए बुआई की जिसका परीक्षण सफल रहा। पहाड़ में केसर के बल्ब पहाड में भी तेजी से बढ़ रहे है। जिसमें कई गुना लाभ किसानों को हो सकता है।

कश्मीर के केसर को रास आई पहाड़ की आबोहवा

जीबी पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान के निदेशक आरएल रावत ने बताया कि संस्थान ने परीक्षण के तौर पर कश्मीर से केसर मगाया। उन्होंने कहा कि इस बहुउपयोगी फसल की काफी मांग है। और कश्मीर में भी संस्थान किसानों के साथ जुड़कर केसर का उत्पादन करवा रहा है।
उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा में केसर उत्पादन का सफल परीक्षण राज्य में लौटे लाखों प्रवासियों के लिए लाभदायक व्यवसाय साबित हो सकता है।

ke
photo- uttra news

संस्थान वैज्ञानिक पिछले दो सालों से शोध में लगे हैं वरिष्ठ वैज्ञानिक इंजीनियर किरीट कुमार ने कहा कि राज्य में प्रयोग सफल रहा है। अब गांवों में भी केसर का उत्पादन हो सकता है। जिसमें अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। अभी तक कश्मीर में ही केसर का उत्पादन अधिक होता है। कहा कि हालांकि केसर की खेती शुरूआत में कुछ खर्चीली साबित हो सकती है लेकिन उत्पादन और लाभ काफी अच्छा रहेगा क्योंकि इसकी मांग और बाजार की कीमत भी काफी अच्छी है।

वैज्ञानिकों के इस अध्ययन और प्रत्यक्ष शोध के बाद अब यह उम्मीद बढ़ गई है कि उत्तराखंड की कम ऊंचाइ वाले पहाड़ों पर भी इसकी खेती की जा सकती है।
बताते चले कि राज्य में लौटे प्रवासियों के लिए केसर की खेती एक अच्छा लाभ का साधन बन सकती है। वैसे भी सभी संस्थान और राज्य की सरकार स्वरोजगार के लिए प्रेरित कर रही है। जो युवा कोरोना के कारण वापस अपने गांवों में लौटे है वह गांवों में ही रोजगार करें जिससे पहाड़ के गांव आबाद रहेगें और लोग गांवों में ही स्वरोजगार करेंगे।किसानी में आत्मनिर्भरता इस खेती से भी हो सकती है। माना जा रहा है कि पहाड़ के ही सैकड़ों गांवों में केसर की खेती होगी तो युवाओं को अच्छा मुनाफा हो सकता है।

कश्मीर के केसर को रास आई पहाड़ की आबोहवा