बीएसएफ जवान पूर्णम शॉ की रिहाई की कहानी, पाकिस्तान की कैद में आंखों पर पट्टी, नींद और ब्रश तक नहीं करने दिया गया

बीएसएफ का जवान पूर्णम कुमार शॉ, जो पश्चिम बंगाल के हुगली जिले का रहने वाला है, उसे पाकिस्तान ने अटारी बॉर्डर पर भारतीय अधिकारियों को…

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बीएसएफ का जवान पूर्णम कुमार शॉ, जो पश्चिम बंगाल के हुगली जिले का रहने वाला है, उसे पाकिस्तान ने अटारी बॉर्डर पर भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया है। बीएसएफ की 24वीं बटालियन में तैनात पूर्णम शॉ किसान गार्ड ड्यूटी पर था और गलती से फिरोजपुर सेक्टर के पास पाकिस्तानी सीमा में चला गया था। यह घटना 23 अप्रैल को हुई थी, यानी जिस दिन पहले जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था, उसके अगले ही दिन।

पाकिस्तानी रेंजर्स ने उसे तुरंत पकड़ लिया था और इसके बाद जो कुछ हुआ, उसने जवान की मानसिक स्थिति को झकझोर कर रख दिया। पाकिस्तान ने उसे पूरे इक्कीस दिन तक अपनी हिरासत में रखा, जहां उसे ना ठीक से सोने दिया गया और ना ही ब्रश करने की इजाजत मिली।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट बताती है कि जब भी उसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाता था, तो उसकी आंखों पर पट्टी बंधी रहती थी। उसे तीन बार अलग-अलग ठिकानों पर ले जाया गया, जिसमें से एक जगह ऐसी थी, जहां से विमान की आवाजें साफ सुनाई देती थीं, यानी वो किसी एयरबेस के पास रहा होगा। एक बार तो उसे एकदम जेल जैसी कोठरी में भी रखा गया।

पूरे इस दौरान उसे शारीरिक रूप से कोई नुकसान तो नहीं पहुंचाया गया, लेकिन मानसिक रूप से परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। उससे बार-बार बीएसएफ की तैनाती के बारे में पूछा गया। यहां तक कि इंटरनेशनल बॉर्डर पर तैनात अफसरों की जानकारी भी मांगी गई। पूछताछ करने वाले लोग पाकिस्तानी सेना की वर्दी में नहीं थे, बल्कि सिविल ड्रेस में थे। उन्होंने उससे संपर्क नंबर भी मांगे, लेकिन चूंकि बीएसएफ का नियम है कि ड्यूटी के दौरान मोबाइल साथ नहीं रखना होता, इसीलिए वो कोई नंबर नहीं दे पाया।

जब उसे भारत लौटाया गया, तो पहले उसकी मेडिकल जांच हुई और फिर पूछताछ की गई। उसकी शारीरिक और मानसिक हालत फिलहाल सामान्य बताई गई है। पाकिस्तान में उसने जो कपड़े पहने थे, उन्हें जांच के बाद हटा दिया गया।

वतन लौटने के बाद उसे अपने परिवार से बात करने की इजाजत दी गई और अब वह पूरी तरह सुरक्षित है। लेकिन यह पूरा घटनाक्रम इस बात की तस्दीक करता है कि सरहद पर तैनात हमारे जवान किन खतरों से गुजरते हैं और उनकी एक छोटी सी चूक किस हद तक उन्हें संकट में डाल सकती है।