एजबेस्टन में शुभमन गिल ने रचा इतिहास, इंग्लैंड की धरती पर दोहरा शतक लगाने वाले तीसरे भारतीय बने

इंग्लैंड में खेला जाना आसान नहीं होता। वहां की पिचों पर गेंद हवा में घूमती है। कभी अंदर आती है कभी बाहर निकल जाती है।…

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इंग्लैंड में खेला जाना आसान नहीं होता। वहां की पिचों पर गेंद हवा में घूमती है। कभी अंदर आती है कभी बाहर निकल जाती है। ऐसे में टिककर खेल पाना भी एक बड़ी चुनौती होती है। और अगर कोई बल्लेबाज उस माहौल में दोहरा शतक जमा दे तो समझ लीजिए उसने कुछ खास कर दिखाया है। भारत के लिए अब तक ऐसा करने वाले खिलाड़ी गिने चुने ही हुए हैं। और अब उसी खास लिस्ट में शुभमन गिल का नाम भी जुड़ गया है।

शुभमन गिल ने एजबेस्टन टेस्ट में ऐसा तूफान मचाया कि सब देखते रह गए। दूसरे दिन वे नाबाद 114 रन बनाकर लौटे थे। जब तीसरे दिन मैदान पर उतरे तो एक अलग ही तेवर में नजर आए। धीरे धीरे रन जोड़ते गए और आखिरकार 269 रन की जबरदस्त पारी खेलकर डबल सेंचुरी पूरी की। ये पारी सिर्फ उनके करियर का सबसे बड़ा स्कोर नहीं बना बल्कि इसने कई पुराने रिकॉर्ड भी पीछे छोड़ दिए। इंग्लैंड में किसी भी भारतीय बल्लेबाज द्वारा बनाया गया सबसे बड़ा स्कोर अब गिल के नाम हो गया है।

इससे पहले ये रिकॉर्ड अजहरुद्दीन के नाम था जिन्होंने 1990 में 179 रन बनाए थे। गिल ने रविंद्र जडेजा के साथ मिलकर 203 रन की साझेदारी भी निभाई। फिर वॉशिंगटन सुंदर के साथ मिलकर टीम को पांच सौ से ज्यादा के स्कोर तक पहुंचा दिया। कुल मिलाकर 387 गेंदों तक टिके रहे और हर गेंदबाज की एक एक करके हवा निकाल दी।

अब बात करें उस पारी की जो आज भी फैंस के दिलों में बसी हुई है। 1979 में ओवल टेस्ट। भारत को जीत के लिए 438 रन चाहिए थे। सुनील गावस्कर ओपनिंग करने आए और चेतन चौहान के साथ मिलकर 213 रन जोड़ दिए। चौथी पारी में उन्होंने अकेले दम पर 221 रन बना डाले। 443 गेंदें खेलीं और 21 चौके लगाए। भारत जब टी ब्रेक तक सिर्फ एक विकेट पर 304 रन बना चुका था तो जीत की उम्मीदें जाग चुकी थीं। लेकिन ब्रेक के बाद गावस्कर आउट हो गए और टीम 429 रन पर रुक गई। सिर्फ 9 रन से मैच जीतने का सपना टूट गया। भले ही वो मुकाबला ड्रॉ रहा लेकिन गावस्कर की वो पारी आज भी चौथी पारी की सबसे बड़ी मिसाल मानी जाती है।

तीसरा नाम है राहुल द्रविड़ का। 2002 में ओवल की ही पिच पर उन्होंने 217 रन ठोक दिए थे। 468 गेंदों का सामना किया। 28 चौके लगाए और लगभग ग्यारह घंटे तक क्रीज पर टिके रहे। उस पारी में उन्होंने तेंदुलकर गांगुली और लक्ष्मण के साथ साझेदारियां भी निभाईं। खास तौर पर लक्ष्मण के साथ जो पांचवें विकेट की साझेदारी हुई वो ओवल टेस्ट में भारत के लिए एक रिकॉर्ड बनी। वो मैच भी बारिश की वजह से ड्रॉ रहा। लेकिन द्रविड़ की वो संयम भरी पारी हमेशा याद की जाएगी।

अब शुभमन गिल ने जो किया है वो सिर्फ एक पारी नहीं है। वो एक इशारा है कि अगली पीढ़ी भी उतनी ही मजबूत है जितनी पुरानी थी। गिल की बल्लेबाज़ी में क्लास भी है और आत्मविश्वास भी। और इंग्लैंड में दोहरा शतक लगाकर उन्होंने ये साफ कर दिया है कि वो अब टेस्ट क्रिकेट के सच्चे लीडर बन चुके हैं।