वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बजट पेश किया है। जिसमें कैपिटल गेन्स टैक्स में बदलाव का ऐलान किया। बजट में सभी तरह के फाइनेंशियल एसेट्स पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) टैक्स को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत करने का एलान किया।
इसके अलावा चुनिंदा एसेट्स पर शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेंस टैक्स को अब 20 प्रतिशत तक कर दिया है। वही चुनिंदा एसेट्स पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेंस से छूट की सीमा को भी अब 1 लाख से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये कर दिया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि लोअर और मिडिल क्लास को अधिक राहत देने के इरादे से LTCG टैक्स छूट की सीमा बढ़ाई गई है।
बजट में यह भी कहा गया कि लिस्टेड फाइनेंशियल एसेट्स को एक साल या उससे अधिक समय तक होल्ड करने पर, इसे लॉन्ग टर्म निवेश माना जाएगा। वहीं अनलिस्टेड फाइनेंशियल या नॉन-फाइनेंशियल एसेट्स को अगर 2 साल या उससे अधिक समय तक होल्ड किया जाता है, उसे तब लॉन्ग टर्म निवेश माना जाएगा।
यह नियम बॉन्ड, डिबेंचर या डेट म्यूचुअल फंड के निवेश पर यह नियम लागू नहीं होगा और इनपर टैक्सपेयर्स के टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स वसूला जाएगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को अपने बजट भाषण के दौरान कहा, “कुछ फाइनेंशियल एसेट्स के शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन पर अब से 20 प्रतिशत का टैक्स रेट लागू होगा। वहीं बाकी सभी फाइनेंशियल एसेट्स और सभी नॉन-फाइनेंशियल एसेट्स पर टैक्स की दर, टैक्स स्लैब के हिसाब से लागू रहेगी।”
कैपिटल गेन पर अब 10 प्रतिशत से लेकर 30 प्रतिशत की अधिकतम दर तक टैक्स लगाया जाता है। टैक्स की दर इसकी होल्डिंग अवधि पर निर्भर करती है। आमतौर पर अगर यूजर्स ने शेयर या किसी दूसरे फाइनेंशियल एसेट्स में एक साल से कम के लिए निवेश किया है, तो उसे शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेंस टैक्स देना होता है। वहीं अगर होल्डिंग अवधि एक साल से अधिक होता है तो उसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स देना होता है।
अगर आप एक साल या उससे पहले इक्विटी शेयर और म्यूचुअल फंड निवेश बेचते हैं तो आपसे 15 प्रतिशत की दर से शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेंस (STCG) टैक्स वसूला जाएगा।
