देहरादून में साइबर ठगों का नया तरीका सामने आया है। महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति को डिजिटल अरेस्ट कर उनसे एक करोड़ सैंतालीस लाख रुपए ठग लिए गए। पुलिस ने इस मामले में हिमाचल प्रदेश के सोलन से आरोपी राजेंद्र कुमार को पकड़ लिया है। आरोपी ने बारह दिन तक पीड़ित को व्हाट्सएप कॉल पर डिजिटल अरेस्ट में रखा और हर वक्त निगरानी में रखा।
ठगों ने खुद को महाराष्ट्र पुलिस के साइबर क्राइम विभाग का अधिकारी बताकर पीड़ित को फंसाया। उन्होंने कहा कि उनके नाम पर खोले गए खाते में साठ करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ है और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में केस दर्ज किया गया है। इसी बहाने से पीड़ित के सारे बैंक खातों का वेरिफिकेशन करने का दबाव बनाया गया। कॉल पर लगातार कानूनी कार्रवाई का डर दिखाकर अलग अलग खातों में रकम ट्रांसफर करवाई गई।
नैनीताल निवासी रिटायर्ड कुलपति ने इस घटना की शिकायत साइबर थाना पुलिस में दी। जांच में सामने आया कि आरोपी राजेंद्र कुमार सोलन का रहने वाला है। पुलिस ने दबिश देकर उसे गिरफ्तार कर लिया। आरोपी ने पीड़ित को लगातार यह हिदायत दी थी कि वह किसी और से बात न करें और हर समय व्हाट्सएप कॉल पर जुड़े रहें।
पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि ठगी के लिए जिन खातों का इस्तेमाल हुआ उनमें जून से अगस्त के बीच लाखों रुपए का लेनदेन किया गया। एक फर्म के खाते में अकेले पचास लाख रुपए ट्रांसफर कराए गए थे। आरोपी के पास से नेट बैंकिंग से जुड़े मोबाइल नंबर वाईफाई राउटर चेकबुक और अन्य दस्तावेज भी मिले हैं।
एसटीएफ के एसएसपी नवनीत भुल्लर ने कहा कि आरोपी ने खुद को महाराष्ट्र साइबर क्राइम का अधिकारी बताया था और झूठी कहानी गढ़कर पीड़ित को फंसाया। यह डिजिटल अरेस्ट नाम का नया तरीका है जिसमें ठग फोन या वीडियो कॉल से डराकर लोगों को फंसाते हैं। कभी खुद को पुलिस अधिकारी तो कभी सीबीआई या आयकर विभाग का अधिकारी बताकर झूठे केस का डर दिखाया जाता है और लोग दबाव में आकर अपनी गाढ़ी कमाई गंवा बैठते हैं।
पुलिस ने साफ कहा है कि डिजिटल अरेस्ट नाम की कोई प्रक्रिया असल में नहीं होती। किसी भी सरकारी संस्था का अधिकारी ऐसा नहीं करता। अगर कभी किसी को इस तरह की कॉल आए तो तुरंत cybercrime.gov.in पर शिकायत करें या फिर 1930 नंबर पर संपर्क करें।
