आरबीआई के फैसले से जनता को झटका, ईएमआई में नहीं मिली कोई राहत

आरबीआई ने लगातार तीन बार ब्याज दरें घटाने के बाद इस बार आम लोगों को राहत देने के बजाय निराश कर दिया है। अगस्त महीने…

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आरबीआई ने लगातार तीन बार ब्याज दरें घटाने के बाद इस बार आम लोगों को राहत देने के बजाय निराश कर दिया है। अगस्त महीने की पॉलिसी बैठक में रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में किसी भी तरह का फेरबदल नहीं किया। इसका मतलब यह है कि इस बार होम लोन कार लोन या किसी भी तरह की ईएमआई में कोई कटौती नहीं होने जा रही है।

एसबीआई की रिपोर्ट में पहले से उम्मीद जताई गई थी कि आरबीआई इस बार रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कमी कर सकता है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हालांकि भविष्य की बैठकों को लेकर दर में कटौती की उम्मीद अब भी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। क्योंकि आरबीआई ने अपना रुख न्यूट्रल ही रखा है।

इस फैसले पर अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ और आगे टैरिफ बढ़ाने की धमकी का असर भी दिखा है। मौजूदा साल की बात करें तो रिजर्व बैंक अब तक कुल एक फीसदी की कटौती कर चुका है। जून में ब्याज दरों में आधे फीसदी की भारी कटौती हुई थी। तभी से माना जा रहा था कि अगस्त में शायद बदलाव नहीं होगा।

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने जैसे ही पॉलिसी का ऐलान किया उन्होंने साफ कहा कि रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसका मतलब है कि अब भी रेपो रेट 5.50 फीसदी पर ही बना रहेगा। इसको लेकर पहले भी कई सर्वे में यही अनुमान लगाया गया था। इसी साल फरवरी में आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की थी। फिर अप्रैल में भी इतनी ही कटौती की गई थी। जून में ब्याज दरों में 0.50 फीसदी की कटौती कर दी गई थी। लेकिन इस बार बहुत कम लोगों ने उम्मीद जताई थी कि फिर से कोई बदलाव होगा। ज्यादातर जानकारों ने यही कहा था कि इस बार दरें स्थिर रहेंगी।

महंगाई को लेकर बात करें तो आरबीआई गवर्नर ने कहा कि सोने की कीमतों में तेजी की वजह से कोर इंफ्लेशन बढ़कर 4.4 फीसदी हो गई है। वहीं उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई महंगाई दर चौथी तिमाही में 4 फीसदी तक रह सकती है। आरबीआई ने इस बार महंगाई के अपने अनुमान को थोड़ा कम किया है। मौजूदा वित्त वर्ष में यह दर 3.1 फीसदी रह सकती है। जो जून में 3.7 फीसदी बताई गई थी। दूसरी तिमाही के लिए यह अनुमान 2.1 फीसदी है। तीसरी तिमाही के लिए 3.1 फीसदी और चौथी तिमाही के लिए 4.4 फीसदी ही बरकरार रखा गया है। अगली पहली तिमाही यानी 2027 की शुरुआत में महंगाई 4.9 फीसदी तक पहुंच सकती है। जो संकेत है कि महंगाई बढ़ सकती है।

जीडीपी को लेकर आरबीआई ने अपने पुराने अनुमान में कोई बदलाव नहीं किया है। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि इस साल देश की जीडीपी ग्रोथ 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है। पहली तिमाही में यह ग्रोथ 6.5 फीसदी तक रह सकती है। दूसरी में 6.7 फीसदी। तीसरी में 6.6 फीसदी और चौथी तिमाही में 6.3 फीसदी तक जाने की उम्मीद है।

जानकारों की मानें तो वैश्विक हालात अब भी अस्थिर हैं और पिछली कटौतियों का असर पूरी तरह देखने के लिए और वक्त लगेगा। कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि सीमा शुल्क से जुड़ी अनिश्चितता को आरबीआई ने पहले से ही ध्यान में रखा था। इसलिए इसका तुरंत असर पॉलिसी पर नहीं पड़ा है। हाउसिंग सेक्टर से जुड़े जानकारों ने भी कहा कि इस साल पहले ही दरों में एक फीसदी की कटौती हो चुकी है। इसलिए इस बार स्थिरता की उम्मीद ज्यादा थी। उनका कहना है कि घर खरीदने वाले अब ब्याज दरों से ज्यादा भरोसे और दीर्घकालिक स्थिरता को देखकर फैसले ले रहे हैं।

एमपीसी यानी मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी में आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा। डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता। कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन के अलावा बाहरी सदस्य नागेश कुमार। सौरभ भट्टाचार्य और राम सिंह शामिल हैं। केंद्र सरकार ने आरबीआई को खुदरा महंगाई को दो फीसदी घटबढ़ के साथ चार फीसदी के दायरे में रखने की जिम्मेदारी दी है। फरवरी से महंगाई लगातार चार फीसदी से नीचे बनी हुई है। लेकिन आरबीआई किसी भी नए बदलाव से पहले और मजबूत आंकड़ों का इंतजार करना चाहता है।