बरसात ने फिर दिखाया उत्तराखंड में कहर का मंजर नदियां उफान पर सैकड़ों रास्ते ठप हालात बिगड़ते जा रहे

बरसात ने फिर दिखाया उत्तराखंड में कहर का मंजर नदियां उफान पर सैकड़ों रास्ते ठप हालात बिगड़ते जा रहे उत्तराखंड में एक बार फिर बारिश…

बरसात ने फिर दिखाया उत्तराखंड में कहर का मंजर नदियां उफान पर सैकड़ों रास्ते ठप हालात बिगड़ते जा रहे

उत्तराखंड में एक बार फिर बारिश आफत बनकर बरसी है। बीते चौबीस घंटे में लगातार हो रही मूसलधार बारिश ने हालात इस कदर खराब कर दिए कि न सिर्फ सड़कों का संपर्क टूट गया बल्कि नदियों का जलस्तर भी खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। राजधानी से लेकर सीमावर्ती जिलों तक पानी ही पानी नजर आ रहा है।

राज्यभर में लगातार बारिश की वजह से जनजीवन पूरी तरह अस्तव्यस्त हो गया है। कई इलाकों में लोगों को घरों में ही कैद रहना पड़ रहा है तो दूसरी तरफ पहाड़ी क्षेत्रों में नदियों के किनारे बसे गांवों में दहशत का माहौल है। आपदा प्रबंधन विभाग ने सभी जिलों के अफसरों को अलर्ट मोड में रहने के सख्त निर्देश दे दिए हैं।

पिछले कुछ घंटों में बरसात ने पहाड़ से लेकर मैदानी इलाकों तक हड़कंप मचा दिया है। पहाड़ों में लगातार पानी गिरने से नदियों में उफान आ गया है। जिससे मैदानी जिलों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए खुद मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के साथ आपात बैठक की है और साफ कह दिया गया है कि कोई भी लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

आपदा प्रबंधन केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक इस वक्त उत्तराखंड में कुल 111 सड़कें बंद हैं। जिनमें पांच राष्ट्रीय राजमार्ग आठ राज्य मार्ग एक बॉर्डर रोड 41 पीडब्ल्यूडी की सड़कें और 56 प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़कें शामिल हैं। इन रास्तों के बंद होने से गांवों का संपर्क पूरी तरह कट गया है।

प्रदेश में भारी बारिश की वजह से एक जून से अब तक 28 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 18 लोग घायल हुए हैं और आठ लोग अब भी लापता हैं। सैकड़ों मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं। कहीं पूरी इमारतें जमींदोज हो गईं तो कहीं आधे मकान ही बचे हैं। कई मकानों में दरारें पड़ चुकी हैं और लोग टेंट में रहने को मजबूर हैं।

इस आपदा में सिर्फ इंसान ही नहीं मवेशी भी चपेट में आए हैं। अब तक 32 बड़े और 62 छोटे जानवरों की मौत हो चुकी है। 15 गौशालाएं भी तबाह हो गई हैं।

राज्य की तमाम बड़ी नदियां इस वक्त खतरे के निशान के बेहद करीब बह रही हैं। हरिद्वार में गंगा उफान पर है। रुद्रप्रयाग में अलकनंदा और मंदाकिनी ने विकराल रूप ले लिया है। उत्तरकाशी में भागीरथी का बहाव तेज है। चमोली में अलकनंदा नंदाकिनी और पिंडर नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। पिथौरागढ़ में काली गोरी और सरयू नदी खतरे की रेखा पार करने की कगार पर हैं। बागेश्वर और चंपावत में भी हालात कम गंभीर नहीं हैं। यहां सरयू गोमती और शारदा नदी के आसपास रहने वालों को घर खाली करने के निर्देश दिए गए हैं।

देहरादून में टपकेश्वर मंदिर के पास बहने वाली तमसा नदी का जलस्तर अचानक इतना बढ़ गया कि मंदिर के आसपास के सारे घाट जलमग्न हो गए हैं। सावन का सोमवार होने के बावजूद श्रद्धालुओं को मंदिर में आने से रोका जा रहा है। प्रशासन ने चेतावनी जारी कर दी है कि लोग मंदिर से दूर रहें।

ऋषिकेश में गंगा का बहाव इस कदर बढ़ा कि परमार्थ निकेतन का घाट डूबने लगा है। नीलकंठ मार्ग पर एक गाड़ी पर अचानक चट्टान आ गिरी जिससे वाहन पूरी तरह चकनाचूर हो गया। कोटद्वार में एक बोलेरो पर बोल्डर गिरने से दो लोगों की मौत हो गई और चार लोग घायल हुए हैं।

राज्य में फिलहाल बारिश का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा है। मौसम विभाग ने अगले 48 घंटे बेहद भारी बताए हैं। खासकर देहरादून हरिद्वार टिहरी पौड़ी नैनीताल चंपावत और बागेश्वर जिले में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।

रविवार से शुरू हुई बरसात ने कई सड़कों को तोड़ डाला है। जगह जगह भूस्खलन हो रहा है। नीलकंठ मार्ग पर जहां गाड़ी पर बोल्डर गिरा वहीं सिरोबगड़ में बंद पड़ा मार्ग खोला जा चुका है लेकिन बाकी जगहों पर अब भी रास्ते अवरुद्ध हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने फिर से जिलाधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि सभी अधिकारी पूरी टीम के साथ ग्राउंड पर रहें। नदियों के जलस्तर की लगातार निगरानी की जाए। जहां भी खतरा हो वहां तुरंत लोगों को बाहर निकाला जाए।

राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि इस समय किसी भी अधिकारी का मोबाइल बंद नहीं होना चाहिए। सभी थाना चौकियां पूरी तरह तैयार रहें। अफसरों को टॉर्च हेलमेट बरसाती जैसे जरूरी सामान साथ रखने के आदेश हैं।

आपदा की स्थिति में फंसे लोगों को तुरंत राहत दी जाए। खाने पीने से लेकर दवाइयों तक की व्यवस्था रहे। स्कूलों में भी पूरी सतर्कता बरती जाए। ऊंचाई वाले इलाकों में पर्यटकों के प्रवेश पर रोक लगाने के आदेश दिए गए हैं।

सरकार ने सभी जिलों के सूचना अधिकारियों से अपील की है कि वे चेतावनियों को आम लोगों तक पहुंचाएं ताकि कोई भी खतरे में ना आए। भू-स्खलन वाले इलाकों में पहले से मशीनें और संसाधन तैनात रखने को कहा गया है।

राज्य एक बार फिर आपदा की मार झेल रहा है और ऐसे में प्रशासन की अग्निपरीक्षा चल रही है। सवाल यही है कि क्या इस बार हालात काबू में आ पाएंगे या फिर प्रकृति की इस मार के आगे एक बार फिर बेबस नजर आएगा उत्तराखंड।