बारिश ने दिखाई अपना असली रूप, जून में रिकॉर्ड टूटे और अब दो हफ्ते की भारी चेतावनी

इस बार मानसून ने देशभर में राहत की फुहारें कुछ खास अंदाज़ में बरसाईं। दक्षिण-पश्चिम मानसून ने तय समय से आठ दिन पहले दस्तक देकर…

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इस बार मानसून ने देशभर में राहत की फुहारें कुछ खास अंदाज़ में बरसाईं। दक्षिण-पश्चिम मानसून ने तय समय से आठ दिन पहले दस्तक देकर 30 जून तक पूरे देश को अपनी चपेट में ले लिया। आमतौर पर मानसून 8 जुलाई तक देश के हर हिस्से तक पहुंचता है, लेकिन इस बार यह रिकॉर्ड तेजी से फैला और इसके असर से जून में औसतन 7 प्रतिशत ज्यादा बारिश दर्ज की गई, जो बीते चार सालों में सबसे अधिक रही है।

इस समय पर और भरपूर हुई बारिश ने देशभर के किसानों के चेहरे खिला दिए हैं। खरीफ फसलों की बुवाई ने रफ्तार पकड़ ली है। आंकड़ों के मुताबिक 20 जून तक 137.84 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलें बोई जा चुकी हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में करीब 13 लाख हेक्टेयर अधिक है। वहीं धान की बुवाई में 58 फीसदी की उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यानी इस बार की मानसूनी शुरुआत ने कृषि क्षेत्र में उम्मीदों का पानी डाला है।

हालांकि, देश में बारिश का वितरण संतुलित नहीं रहा है। मौसम विभाग के अनुसार राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश सहित 11 राज्यों में सामान्य से कहीं अधिक वर्षा हुई है। लद्दाख में सामान्य से 305 प्रतिशत, राजस्थान में 136 प्रतिशत और मध्यप्रदेश में 42 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई है। वहीं जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में बारिश सामान्य रही है। इसके विपरीत दिल्ली, बिहार, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्से अब भी मानसून की मेहरबानी का इंतजार कर रहे हैं।

अगले दो हफ्तों में देश के कई हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी दी गई है। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से उठ रहीं तीन प्रमुख मौसमी प्रणालियों के कारण उत्तर, पूर्व और मध्य भारत के राज्यों—जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल—में स्थिति गंभीर हो सकती है। मौसम विभाग ने 22 राज्यों के लिए भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है और 27 जून से 3 जुलाई तक कई जगहों पर रेड अलर्ट की चेतावनी दी गई है।

उत्तराखंड में मानसून का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है। चारधाम यात्रा मार्गों पर जगह-जगह भूस्खलन और जलभराव ने तीर्थयात्रियों की राह मुश्किल कर दी है। यमुनोत्री हाईवे पर खरसाली, रानाचट्टी, फूलचट्टी, जानकीचट्टी और स्यानाचट्टी जैसे इलाकों में करीब 1000 श्रद्धालु फंसे हुए हैं। प्रशासन ने सतर्कता बरतते हुए यात्रा को 24 घंटे के लिए स्थगित कर दिया है और श्रद्धालुओं को हरिद्वार, ऋषिकेश, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग व सोनप्रयाग में रोका गया है।

इस बीच यमुनोत्री मार्ग पर सिलाई बैंड के पास बादल फटने की घटना से हड़कंप मच गया। बताया जा रहा है कि एक होटल निर्माण स्थल पर काम कर रहे 8 से 10 मजदूर लापता हैं। राहत व बचाव कार्य के लिए SDRF और प्रशासनिक टीमें मौके पर जुटी हुई हैं।

अगर पिछले एक दशक की बात करें तो जून महीने में सामान्य से कम वर्षा का रुख देखने को मिला है। वर्ष 2020 और 2021 को छोड़ दिया जाए, तो 2015 से लेकर 2024 तक लगभग हर साल जून में बारिश की कमी रही है। ऐसे में 2025 की शुरुआत मानसून के लिहाज से उम्मीदों भरी मानी जा सकती है, बशर्ते यह समान रूप से हर क्षेत्र तक पहुंचे और विनाश की बजाय विकास का आधार बने।