राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने चार बॉक्सरों को किया सम्मानित, बॉक्सिंग चैंपियनशिप में जीते मेडल

रोहतक: वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2025 में भारत को मेडल दिलाने वाली 4 महिला बॉक्सरों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सम्मानित किया। सभी बॉक्सरों को नई…

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रोहतक: वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2025 में भारत को मेडल दिलाने वाली 4 महिला बॉक्सरों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सम्मानित किया। सभी बॉक्सरों को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन सम्मानित किया गया। बता दें वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप 4 से 14 सितंबर तक इंग्लैंड के लीवरपुर में हुई थी।

इस चैंपियनशिप में रोहतक जिला के रुड़की गांव की मीनाक्षी हुड्डा और भिवानी जिला की बॉक्सर जैस्मिन लंबोरिया, पूजा रानी बोहरा व नूपुर श्योराण ने मेडल हासिल किए थे। आपको बता दें कि वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में जैस्मिन और मीनाक्षी ने गोल्ड मेडल जीता था। वहीं नूपुर ने सिल्वर मेडल और पूजा रानी ने ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था। उनकी इस उपलब्धि के लिए राष्ट्रपति ने चारों को सम्मानित किया है।

बता दें कि रुड़की गांव की मीनाक्षी हुड्डा ऑटो चालक की बेटी हैं। वो वर्ष 2013 में पहली बार बॉक्सिंग रिंग में प्रैक्टिस के लिए गई। जब भी वह प्रैक्टिस करने को जाती थी तब लोग ताने भी मारा करते थे ,लेकिन उसने इन सब को इग्नोर किया और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती गई। अब परिणाम यह है कि मीनाक्षी हुड्डा ने वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में 48 किलोग्राम भारवर्ग में भाग लिया था और एशियन चैंपियन को एक तरफा 5-0 से हराकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया था।

गौरतलब है कि मीनाक्षी हुड्डा ने वर्ष 2017 में जूनियर नेशनल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक, वर्ष 2019 में नेशनल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक, वर्ष 2021 में सीनियर नेशनल प्रतियोगिता में रजत पदक और वर्ष 2024 में ब्रिक्स व एलोर्डा कप में स्वर्ण पदक जीता। मीनाक्षी हुड्डा ने वर्ष 2013 में रुड़की गांव में ही बॉक्सिंग खेलना शुरू किया। हालांकि आर्थिक स्थिति ठीक ना होने की वजह से शुरुआत में पिता कृष्ण हुड्डा ने बेटी के बॉक्सिंग खेलने का विरोध भी किया, लेकिन फिर गांव में ही कोच विजय हुड्डा ने प्रोत्साहित किया।

बॉक्सर मीनाक्षी के पिता कृष्ण हुड्डा ऑटो चालक हैं. वो 30 साल से किराए पर ऑटो लेकर चला रहे हैं। शुरुआत में परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी। तो पत्नी सुनीता ने घर में भैंस रखकर दूध बेचना शुरू किया और बेटी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। कृष्ण हुड्डा का कहना है कि “मीनाक्षी जैसे-जैसे प्रतियोगिताओं में पदक लाती गई, तो हौसला बढ़ता चला गया। बेटी के पदक जीतने पर खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

मां सुनीता का कहना है कि हमेशा ही उन्होंने मीनाक्षी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। गांव में स्कूल की शिक्षिकाओं ने भी साथ दिया और प्रेरित किया
. उन्होंने घर में भैंस रखकर दूध बेचा और बेटी का हर पल साथ दिया। अब बेटी विश्व चैंपियन बनी है, तो उसे बहुत खुशी हो रही है, बोली अब उनकी मेहनत सफल हुई है। उन्होंने बताया कि “शुरुआत में मीनाक्षी के पिता मना करते थे कि बेटी को बाहर नहीं भेजना। गांव वालों के दबाव में आकर हमेशा मना करते थे, लेकिन उन्हें बेटी पर विश्वास था कि एक दिन बेटी उनका नाम रोशन करेगी और बेटी के मन में जो इच्छा है, उसे पूरा करना चाहिए। जब पिता काम पर जाते थे तो पीछे से छुपकर मीनाक्षी प्रैक्टिस करने के लिए स्टेडियम चली जाती। शुरुआत के करीब 4 महीने तक ऐसा ही चलता रहा। उसके बाद जब मीनाक्षी के पिता को पता चला तो काफी गुस्सा किया, लेकिन बाद में कोच विजय हुड्डा व उनके कहने पर मीनाक्षी के पिता मान गए, आज भी बेटी की इस सफलता से बेहद खुश है”

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