पिथौरागढ़ में डाक इंस्पेक्टर 15 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा गया, सीबीआई ने किया गिरफ्तार

पिथौरागढ़ से एक बार फिर रिश्वतखोरी का मामला सामने आया है जिससे पूरे जिले में हड़कंप मच गया है। पहले मुनस्यारी और डीडीहाट में रिश्वत…

पिथौरागढ़ से एक बार फिर रिश्वतखोरी का मामला सामने आया है जिससे पूरे जिले में हड़कंप मच गया है। पहले मुनस्यारी और डीडीहाट में रिश्वत लेते अफसर पकड़े गए थे। अब नाचनी पोस्ट ऑफिस में तैनात डाक इंस्पेक्टर को सीबीआई ने पकड़ लिया है। ये मामला डीडीहाट तहसील के एक व्यक्ति की शिकायत के बाद उजागर हुआ। पीड़ित ने बताया कि उसने जिला उद्योग केंद्र की योजना के तहत छह लाख रुपये का लोन लिया था। जिसमें उसे दो लाख दस हजार रुपये की सब्सिडी मिलनी थी। इस सब्सिडी को पास कराने के लिए इंस्पेक्टर ने घूस मांगी।

डीडीहाट थाने के प्रभारी हरीश सिंह कोरंगा के मुताबिक देहरादून से आई सीबीआई टीम ने पोस्ट ऑफिस में मौजूद दो कर्मचारियों से पूछताछ की। इसी दौरान एक कर्मचारी को पंद्रह हजार रुपये लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया गया। इस मामले में पोस्ट मास्टर और डाकिया की कोई भूमिका नहीं पाई गई है।

सीबीआई की टीम ने पूरे मामले की जांच की और इसके बाद पिथौरागढ़ जिले के नाचनी पोस्ट ऑफिस में तैनात डाक इंस्पेक्टर शशांक सिंह राठौर को पकड़ा। बताया जा रहा है कि उन्होंने बागेश्वर जिले के खेती गांव निवासी सुरेश चंद से पंद्रह हजार रुपये की रिश्वत ली। सुरेश की नाचनी में ममता म्यूजिक एंड इलेक्ट्रॉनिक्स नाम से दुकान है। उनका लोन साल दो हजार बीस में स्वीकृत हुआ था। सब्सिडी की रकम पास कराने के लिए जब सुरेश ने इंस्पेक्टर से संपर्क किया तो उसने तरह तरह की कमियां बतानी शुरू कर दीं।

सुरेश ने फिर बीस जून को शशांक राठौर से दोबारा संपर्क किया। आरोप है कि उसने पोस्ट मास्टर और डाकिया के जरिए इक्कीस हजार की मांग रखी। बातचीत में रकम घटाकर पंद्रह हजार तय हुई। सुरेश ने इस पूरी बातचीत की रिकॉर्डिंग की और सीबीआई को सौंप दी। सीबीआई ने पहले से ही ट्रैप तैयार कर रखा था। जैसे ही सुरेश ने इंस्पेक्टर को रुपये दिए उसे मौके पर ही पकड़ लिया गया। इसके बाद सीबीआई की टीम उसे ले गई और अब उसे स्पेशल कोर्ट में पेश किया जाएगा।

यह पहला मामला है जब जिले में सीबीआई ने किसी सरकारी कर्मचारी को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। जिससे बाकी महकमे में भी खलबली मच गई है। इस पूरे घटनाक्रम में पोस्ट मास्टर और अन्य कर्मचारियों की भूमिका नहीं पाई गई है। लेकिन अब सवाल यही उठता है कि जब कार्रवाई के बावजूद अफसरों को डर नहीं है तो भ्रष्टाचार पर लगाम कैसे लगेगी।