100 करोड़ रुपये का घोटाला उजागर करने वाले रिंकू ने यूपीएससी परीक्षा पास की

Newsdesk Uttranews
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मेरठ। 1 जून 2022- देश के एक ईमानदार नौकरशाह रिंकू राही की कहानी किसी बॉलीवुड ब्लॉकबस्टर फिल्म से कम नहीं है।

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मार्च 2009 में प्रांतीय सिविल सेवा (पीसीएस) में एक युवा अधिकारी के रूप में उन्होंने 100 करोड़ रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले का खुलासा किया था, जिसके बाद वह माफिया और बदमाश लोगों की रडार पर आ गए थे।

इस घोटाले को उजागर करने के कारण ही उन्हें 2009 में सात गोलियां मारी गई थीं। इन सात गोलियों में से तीन उनके चेहरे पर लगी थीं, जिसकी वजह से वह एक आंख की रोशनी चली गई और एक कान से सुनना भी बंद हो गया।

मौत को मात देकर अब उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास करते हुए एक मिसाल कायम कर दी है।

रिंकू राही को 2008 में मुजफ्फरनगर में समाज कल्याण अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था, जब उन्होंने बड़े पैमाने पर रैकेट का भंडाफोड़ किया था। उन पर हुए हमले के लिए आठ लोगों पर मामला दर्ज किया गया था, जिनमें से चार को 10 साल जेल की सजा सुनाई गई थी।

राही ने कहा, अपनी कठिन अग्नि परीक्षा के दौरान, मैं सिस्टम से नहीं लड़ रहा था, बल्कि सिस्टम मुझसे लड़ रहा था। मैं चार महीने तक अस्पताल में था, लेकिन मेरी चिकित्सा छुट्टी (मेडिकल लीव) अब तक मंजूरी के लिए लंबित है।

हालांकि, रिंकू राही अपने भाग्य के साथ सामंजस्य बिठाने वालों में से नहीं थे। उन्होंने अपने इरादों को और मजबूत करने के लिए यूपीएससी परीक्षा को क्रैक करने का फैसला किया।

उन्होंने आखिरकार 683वीं रैंक हासिल करते हुए सफलता भी प्राप्त कर ली है। बता दें कि यूपीएससी में कुछ विशेष श्रेणियों के उम्मीदवारों के लिए आयु में छूट है, जिससे राही को मदद मिली।

राही ने कहा कि हालांकि मायावती शासन के दौरान उन पर हमला किया गया था, लेकिन उन्हें समाजवादी पार्टी के शासन के दौरान भी बहुत ज्यादा भ्रष्टाचार का विरोध करने के लिए सजा दी गई थी।

राही ने कहा, मेरे दादा की मृत्यु तब हुई थी, जब मेरे पिता 10 साल के थे। मेरी दादी को उनके ससुराल से निकाल दिया गया था। उन्हें जीवित रहने के लिए अन्य लोगों के घरों के शौचालयों की सफाई सहित हर छोटा काम करना पड़ता था। मेरे पिता पढ़ाई में अच्छे थे लेकिन परिवार की देखभाल के लिए उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी। मैं शोषण की इन कहानियों को सुनकर बड़ा हुआ हूं और मैंने सोचा था कि अगर सरकारी अधिकारी ईमानदार होते, तो हमें कई योजनाओं का लाभ मिल सकता था। इसी ने मुझे और मेरी प्रेरणा को हमेशा आगे बढ़ाया।

राही अब आठ साल के बच्चे के पिता हैं। उन्होंने कहा, ऐसा नहीं है कि प्रलोभन ने मेरे दरवाजे पर दस्तक नहीं दी। लेकिन मुझे पता था कि अगर मैं कभी भी नापाक गतिविधियों में लिप्त रहा, तो किसी और को और उनके बच्चे को भी नुकसान हो सकता है।

उन्होंने कहा कि भविष्य में उन पर और हमले होने की संभावना को देखते हुए उन्होंने अब अपना बीमा करा लिया है।

राही ने कहा, अब मैं अपने विचार को बहुत पारदर्शी तरीके से रखता हूं और उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट करता हूं, क्योंकि मेरी मौत से घोटालों के सारे सबूत निकल जाएंगे।