shishu-mandir

सिद्धू ,चन्नी की लड़ाई में घोषणा पत्र बनाना ही भूल गई कांग्रेस, आज भी जारी नहीं हुआ घोषणा पत्र

उत्तरा न्यूज टीम
5 Min Read

शुक्रवार शाम को पंजाब विधानसभा चुनाव का प्रचार समाप्त हो गया लेकिन congress पार्टी का पंजाब चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी करने का संघर्ष आज भी जारी है। समझा जा रहा है कि कांग्रेस का घोषणा पत्र पंजाब कांग्रेस के चार बड़े नेताओं अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू, CM चरणजीत सिंह चन्नी, प्रचार समिति के प्रमुख सुनील जाखड़ और घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा के चतुष्कोण में फंसा हुआ है। बता दें कि पंजाब कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र की कहानी 11 जनवरी को शुरू हुई थी, जब पार्टी ने 25 सदस्यीय घोषणापत्र समिति और 31 सदस्यीय अभियान समिति का गठन किया था।

new-modern
gyan-vigyan

saraswati-bal-vidya-niketan

25 जनवरी को की थी सिद्धू ने बैठक
25 जनवरी को सिद्धू ने पंजाब चुनाव के लिए पार्टी के घोषणापत्र को लेकर जालंधर में राज्यसभा सांसद बाजवा और कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर सिंह के साथ बैठक की। सिद्धू ने अपना 13 सूत्री punjab model पेश किया और जालंधर में बाजवा और सिंह के साथ मीडिया को संबोधित किया।


घोषणापत्र समिति के प्रमुख बाजवा ने घोषणा की कि सिद्धू का पंजाब मॉडल पंजाब के लिए कांग्रेस के घोषणापत्र का हिस्सा होगा। सिद्धू के punjab model of governance में एक ‘जीतेगा पंजाब आयोग’ का वादा किया गया है, जो स्पष्ट रूप से एक निकाय हो सकता है। यह प्रदेश सरकार के प्रत्येक विभाग और पार्टी विधायकों को सलाह देने के लिए एक प्रमुख नीति सलाहकार भूमिका के साथ एक super-cabinet हो सकता है।


पंजाब में शुक्रवार सुबह चुनाव प्रचार का आखिरी दिन शुरू होने के बाद भी कांग्रेस का घोषणापत्र गायब था। कभी कैप्टन अमरिंदर सिंह के कट्टर प्रतिद्वंद्वी रहे प्रताप सिंह बाजवा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि एक दो बार घोषणापत्र निर्धारित करने के बावजूद उन्हें इसे जारी करने के लिए चंडीगढ़ जाने का समय नहीं मिला, क्योंकि वे अपने निर्वाचन क्षेत्र कादियान में प्रचार में व्यस्त हैं।

जाखड़ भी हैं नाराज


पंजाब कांग्रेस के चतुर्भुज के दूसरे भंवर सुनील जाखड़, कैप्टन अमरिंदर सिंह के पूर्व करीबी सहयोगी हैं। उन्होंने एक बार घोषणा की थी कि वह पंजाब में पहले हिंदू मुख्यमंत्री हो सकते हैं। जाखड़ प्रचार समिति के प्रमुख हैं, लेकिन कांग्रेस के भीतर कई मुद्दों पर नाराज हैं। उनमें से एक पंजाबी हिंदू होने के कारण मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी से इनकार करना भी है। उन्होंने हाल ही में अपने बयान से तहलका मचा दिया था। इसके बाद वह पंजाब चुनाव में काफी हद तक चुप रहे।

उनका दावा था कि पंजाब कांग्रेस के 42 विधायकों के द्वारा उन्हें सीएम उम्मीदवार के रूप में समर्थन देने के बावजूद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चन्नी को मुख्यमंत्री चुना। इसी निर्णय ने सिद्धू के पंजाब मॉडल अभियान को भी बाधित कर दिया।राहुल गांधी ने 6 फरवरी को घोषणा की कि चन्नी ने पंजाब में कांग्रेस के सीएम उम्मीदवार के लिए टेली-वोटिंग पोल जीता है। इसके साथ ही सिद्धू की मुख्यमंत्री पद की महत्वाकांक्षा को भी झटका लगा। बाजवा ने भी सिद्धू की तरह खुद को अपने निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं तक सीमित कर लिया। कांग्रेस का घोषणापत्र जारी नहीं होने के कारण सिद्धू ने 12 फरवरी को social media पर अपना punjab model जारी किया।


सिद्धू ने अपने पंजाब मॉडल को म्यूट कर दिया है। वहीं चन्नी ने अपने चुनावी वादे के कार्ड के बारे में खुलकर बात की, जिसमें कई मुफ्त उपहार थे। महिलाओं के लिए 1,100 रुपये per month, 3 रुपये per unit बिजली, रेत की दर 4 रुपये per cubic feet, मासिक cable TV की दर 100 रुपये, सरकार बनने के एक साल के भीतर 1 लाख नौकरियां, मुफ्त मोबाइल डेटा जैसे कई वादे चन्नी ने पंजाबी मतदाताओं से किए हैं। चन्नी ने एक साल में 8 LPG cylinder मुफ्त देने की भी घोषणा की है।