देहरादून से एक बड़ी खबर सामने आई है जहां चारधाम यात्रा को लेकर सरकार ने अब वो कदम उठा लिया है जिसका इंतजार सालों से हो रहा था। केदारनाथ यात्रा को आसान बनाने के लिए भारत सरकार अब एक लंबी टनल बनाने जा रही है। यह टनल करीब सात किलोमीटर लंबी होगी और इसके बनने के बाद श्रद्धालुओं को ऊंचाई वाली कठिन चढ़ाई से राहत मिल जाएगी। साल 2013 की आपदा के बाद जिस रास्ते से लोगों को भेजा जा रहा है वो पहले से भी ज्यादा मुश्किल हो गया था। अब उसी मुश्किल को खत्म करने के लिए यह सुरंग बनाई जाएगी।
टनल की योजना कोई एक दिन में नहीं बनी। इसके पीछे कई सालों की तैयारी है। साल 2022 में सरकार ने इसका खाका बनाना शुरू किया था और अब जाकर केंद्र सरकार की ओर से इसपर मुहर लगा दी गई है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ने चौमासी से लेकर लिनचोली तक पूरे पहाड़ी हिस्से का सर्वे पूरा कर लिया है। पहले योजना थी कि टनल गौरीकुंड से रामबाड़ा तक बनाई जाए लेकिन फिर नए इलाके की जांच के बाद तय किया गया कि नया रूट ज्यादा सुरक्षित है और वहां भूस्खलन का खतरा भी नहीं है।
टनल बनने से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि केदारनाथ तक का पैदल सफर बहुत कम हो जाएगा। अब तक यात्रियों को सोनप्रयाग से गौरीकुंड फिर वहां से रामबाड़ा होते हुए करीब अठारह किलोमीटर की लंबी पैदल चढ़ाई करनी पड़ती थी। लेकिन जब यह सुरंग बन जाएगी तो गाड़ियां सीधे केदारनाथ के नजदीक तक जा सकेंगी। श्रद्धालुओं को बस आखिरी के पांच किलोमीटर पैदल चलना होगा। यह सफर सिर्फ डेढ़ से दो घंटे में तय हो जाएगा। यानी पहले के मुकाबले छह घंटे की बड़ी बचत होगी।
इस पूरे प्रोजेक्ट को लेकर सड़क परिवहन मंत्रालय की टीम पहले ही मौके पर जाकर जांच कर चुकी है। साल 2024 में हुए इस सर्वे के आधार पर एक पूरा ब्लूप्रिंट तैयार किया गया है। रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय को भी भेजी जा चुकी है और वहीं से हरी झंडी मिल गई है।
राज्य के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि केंद्र सरकार की नजर बदरीनाथ और केदारनाथ दोनों पर खास तौर से बनी हुई है। प्रधानमंत्री खुद कामों की निगरानी कर रहे हैं। जो भी निर्माण होगा वह दुनिया के बेहतरीन कामों में गिना जाएगा।
सिर्फ टनल ही नहीं बल्कि रोपवे पर भी तेजी से काम चल रहा है। सोनप्रयाग से केदारनाथ तक करीब तेरह किलोमीटर लंबा रोपवे बनने जा रहा है जिसकी मंजूरी केंद्र सरकार ने पहले ही दे दी थी। यह प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद नौ घंटे की चढ़ाई महज चालीस मिनट में पूरी हो जाएगी। रोपवे से हर घंटे करीब अठारह सौ श्रद्धालु केदारनाथ पहुंच सकेंगे। यह प्रोजेक्ट साल दो हजार इकतीस तक पूरा हो जाएगा।
सिर्फ यही नहीं बल्कि रुद्रप्रयाग से बदरीनाथ के रास्ते को जोड़ने वाली एक सुरंग पहले ही तैयार हो चुकी है। यह सुरंग नौ सौ मीटर लंबी है और इससे श्रद्धालुओं को यात्रा के दौरान काफी राहत मिलने वाली है।
लोकसभा के मानसून सत्र में भी उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों की सड़कों को लेकर सवाल उठा था। इसके जवाब में केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान ने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत उत्तराखंड को दो सौ बारह नई सड़कों और नौ पुलों की मंजूरी दी गई है। इससे दूरदराज के गांवों को अब शिक्षा स्वास्थ्य और मंडियों से बेहतर संपर्क मिलेगा।
टनल हो या रोपवे या फिर नई सड़कें सरकार की कोशिश है कि केदारनाथ की यात्रा को पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित सुविधाजनक और तेज बनाया जाए ताकि हर श्रद्धालु बिना डर के भोलेनाथ के दर्शन कर सके।
