अब किताबें नहीं, हुनर की क्लास लगेगी… उत्तराखंड के स्कूलों में हर महीने बच्चों को मिलेगी बस्ता मुक्त सांस

उत्तराखंड के स्कूलों में अब बच्चों के कंधों से एक दिन का बोझ उतरने वाला है। राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि हर महीने…

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उत्तराखंड के स्कूलों में अब बच्चों के कंधों से एक दिन का बोझ उतरने वाला है। राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि हर महीने के आखिरी शनिवार को स्कूलों में ‘बस्ता मुक्त दिवस’ मनाया जाएगा। यानी उस दिन कोई किताब, कोई कॉपी नहीं… सिर्फ खेल, कला, खेती, विज्ञान और हुनर की बातें होंगी। चाहे उत्तराखंड बोर्ड हो या सीबीएसई, आईसीएससी, संस्कृत बोर्ड या भारतीय शिक्षा परिषद से जुड़े निजी स्कूल—यह नियम सभी पर लागू होगा।

राज्य के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने इसकी औपचारिक शुरुआत देहरादून के एससीईआरटी सभागार में की। इस दौरान उन्होंने ‘गतिविधि पुस्तिका’ का विमोचन भी किया, जो बच्चों के उस दिन के रचनात्मक अनुभवों को दिशा देने का काम करेगी। डॉ. रावत का कहना है कि इस पहल का मकसद सिर्फ किताबों के बोझ को कम करना नहीं है, बल्कि बच्चों को जिंदगी के असली पाठ पढ़ाना है।

उन्होंने कहा कि बच्चे अब खेती को समझेंगे, विज्ञान को खेलों में ढालेंगे, चित्रों में अपनी सोच को रंगेंगे और छोटे-छोटे प्रोजेक्ट्स से हुनर सीखेंगे। स्कूल एक दिन ऐसा बनेगा जहां उन्हें रट्टा मारने की मजबूरी नहीं, बल्कि खुलकर सोचने की आज़ादी मिलेगी।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि विदेशों में बच्चों को पढ़ाई का ऐसा ही माहौल मिलता है—खुशनुमा, प्रयोगधर्मी और रचनात्मक। अब उत्तराखंड में भी हम उसी दिशा में एक मजबूत कदम बढ़ा रहे हैं। इस कार्यक्रम में शिक्षा सचिव रविनाथ रामन, महानिदेशक झरना कमठान, मिशन निदेशक स्वाति भदौरिया, डॉ. मुकुल सती और कई निजी स्कूलों के प्रमुख भी मौजूद रहे।

यह फैसला न सिर्फ बच्चों के लिए राहत लेकर आएगा, बल्कि माता-पिता के लिए भी यह भरोसे का कारण बनेगा कि उनका बच्चा हर महीने एक दिन किताबों से नहीं, ज़िंदगी से कुछ नया सीख रहा है।