NHAI ने अद्भुत कॉरिडोर : बनाया भारत का पहला वाइल्ड लाइफ सेफ हाइवे, जानिए इसके बारे में
मध्य प्रदेश के भोपाल-जबलपुर नेशनल हाईवे पर नरसिंहपुर-जबलपुर के बीच दो किलोमीटर की 4 लेन सड़क पूरे में देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। वन्य प्राणियों की सुरक्षा और वाहनों की स्पीड को नियंत्रित रखने के लिए एक्सीडेंटल जोन में वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व की सीमा से होकर गुजरने वाली सड़क पर ‘रेड कलर’ से ‘टेबल टॉप मार्किंग’ की गई है, जिसके चलते यह मार्ग अनोखा और ड्रोन व्यू से देखने पर गजब का नजारा दिख रहा है।
दो किलोमीटर यह सड़क राजमार्ग चौराहे से बेलखेड़ा के बीच आने वाले ब्लैक स्पॉट को खत्म कर दिया गया है जिसके बाद इसको बनाया गया है।
भोपाल-जबलपुर नेशनल हाईवे पर नरसिंहपुर-जबलपुर के बीच वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व की सीमा से होकर गुजरे नेशनल हाईवे पर वन्य प्राणियों और मुसाफिर वाहनों की होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए NH आथॉरिटी ने शानदार प्रयोग किया गया है। आशंका है कि पहली बार यह अनोखा और तकनीक आधारित प्रयोग किया गया है। इसमें ‘टेबल टॉप रेड मॉर्किंग’ की गई है। जिससे वाहनों में हल्के से जर्क लगते हैं और स्पीड अनियंत्रित नहीं होती है।
बता दें कि नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर अब सफर और भी सुरक्षित होने जा रहा है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने लगभग 2 किलोमीटर के वन्यजीव संवेदनशील हिस्से में एक अनूठा और तकनीक-आधारित प्रयोग किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य है कि दुर्घटनाओं को कम किया जाए और वन्यजीवों की सुरक्षित आवाजाही हो सके। जिससे गति पर लगाम लगाने का एक नया तरीका अपनाया गया । जिसे तकनीकी भाषा में ‘टेबल टॉप रेड मार्किंग’ कहा जाता है।
एनएचएआई के अधिकारियों ने बताया कि टेबल टॉप मार्किंग के अतंर्गत सड़क पर 5 मिलीमीटर की मोटी लाल रंग की परत बिछाई गई है,जिसका नाम ‘टेबल टॉप मार्किंग’ रखा गया है। इस मोटी लेयर के ऊपर से जाते हुए वाहन चालकों को हल्के झटके महसूस होते हैं, जिससे वह अपनी गति को स्वयं ही नियंत्रित कर सकते है। क्योंकि लाल रंग खतरे का प्रतीक है, जिससे चालकों को तेज रफ्तार से बचने के लिए मनोवैज्ञानिक रूप से इशारा करते है।
व्हाइट शोल्डर लाइन, नींद भगाने वाली तकनीक का उपयोग किया जाएगा।
हाईवे पर रफ्तार के चलते रात में होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए, NHAI ने सड़क के किनारों पर एक और बहुत जरूरी परत का उपयोग किया है। इसमें सड़क के दोनों तरफ पर 5 मिलीमीटर मोटी सफेद पैवर शोल्डर लाइन बनाई गई है। इसमें अगर ड्राइवर को नींद आ जाए या वाहन किनारे की ओर खिसकता है, तो मोटी लाइन से एकदम झटके आते है चालक सतर्क हो सकता है।
NHAI अधिकारियो की माने तो इस परियोजना में पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण को प्राथमिकता दी गई है। जिसमें 25 अंडरपास बनाए गए हैं। अभयारण्य से गुजरने वाले वन्यजीवों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए इन अंडरपास (पुलिया) बनाए गए हैं। जिससे वन्यजीव आसानी से आवाजाही कर सकते हैं। बता दें कि हाईवे पर नौरादेही अभयारण्य या वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व से गुजरने वाले डेंजर जोन जिसमें 12 किलोमीटर के ‘डेंजर जोन’ को इस नई तकनीक और दो किलोमीटर में टेबल टॉप मॉर्किग तकनीक और सुरक्षित किया गया है। एनएचएआई का प्रयास है कि इस मार्ग यात्रियों और जानवरों दोनों का सफर सुरक्षित बना रहे और भविष्य में कभी ‘ब्लैक स्पॉट’ न बन सके।
