भारत में पहली बार बनाई जा रही सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस नेक्स्ट जनरेशन (NG) तीनों सेनाओं की मारक क्षमता को नया आयाम देगी। यह नई मिसाइल मौजूदा ब्रह्मोस की तुलना में आधे से भी कम वजन और लागत वाली होगी। इसकी पहली खेप अगले एक साल में तैयार कर ली जाएगी। लखनऊ में स्थापित हो रही उत्पादन इकाई से इसका निर्माण शुरू होगा।
ब्रह्मोस-एनजी का वजन घटाकर 1260 किलोग्राम कर दिया गया है जबकि पहले इस्तेमाल हो रही ब्रह्मोस मिसाइल का वजन 2900 किलोग्राम था। इसका मतलब है कि लड़ाकू विमान सुखोई में अब एक की जगह पांच मिसाइलें तक लोड की जा सकेंगी। थलसेना के सिस्टम में एक साथ छह मिसाइलें लगाई जा सकेंगी और नौसेना के युद्धपोतों की ताकत में भी बड़ा इजाफा होगा।
ब्रह्मोस-एनजी का उत्पादन भारत और रूस का संयुक्त उपक्रम मिलकर कर रहा है। लखनऊ की यह यूनिट भारत की पांचवीं ब्रह्मोस प्रोडक्शन यूनिट होगी लेकिन यहां सिर्फ नेक्स्ट जनरेशन मिसाइल का निर्माण होगा। अभी तक तिरुवनंतपुरम, नागपुर, हैदराबाद और पिलानी में इसका निर्माण हो रहा था।
इस यूनिट को आकार देने में डीआरडीओ के सलाहकार और ब्रह्मोस एयरोस्पेस के पूर्व एमडी व सीईओ डॉ. सुधीर मिश्रा की अहम भूमिका रही है। उन्होंने बताया कि तीनों सेनाओं की बढ़ती मांग को देखते हुए नया प्रोडक्शन सेंटर बनाने का निर्णय लिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2018 में डिफेंस कॉरिडोर की घोषणा के बाद लखनऊ को इसके लिए चुना गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तत्कालीन यूपीडा चेयरमैन अवनीश अवस्थी के साथ मिलकर जमीन चिह्नित कराई और मात्र तीन दिन में 200 एकड़ भूमि डीआरडीओ को सौंप दी गई। दिसंबर 2021 से निर्माण कार्य शुरू हो गया।
फिलहाल लखनऊ यूनिट में 100 इंजीनियरों की तैनाती की गई है। भविष्य में यहां 400 से अधिक कर्मचारियों को सीधा रोजगार मिलेगा। इसके साथ ही लगभग 200 कंपनियां इस यूनिट से जुड़ चुकी हैं जिससे सप्लाई चेन मजबूत होगी और स्थानीय उद्योगों को भी लाभ मिलेगा।
ब्रह्मोस मिसाइल का निर्यात भी तेजी से बढ़ रहा है। इंडोनेशिया, वियतनाम, फिलीपींस और अफ्रीकी देशों को मिसाइलें भेजी जाएंगी। फिलीपींस के 375 मिलियन डॉलर के ऑर्डर की पूर्ति में लखनऊ यूनिट की भूमिका अहम होगी। इसके चलते उत्तर प्रदेश को जीएसटी का भी बड़ा लाभ मिलेगा। इस समय ब्रह्मोस एयरोस्पेस के एमडी व सीईओ डॉ. जयदीप जोशी इस प्रोग्राम का नेतृत्व कर रहे हैं।
