रामबन में कुदरत का कहर, बादल फटने और भूस्खलन से मची तबाही, मौत और बर्बादी के साए में गुज़री रात

l रामबन/जम्मू। जम्मू-कश्मीर के रामबन ज़िले में रविवार तड़के मौसम ने ऐसा विकराल रूप ले लिया, जिसने पूरे इलाके को थर्रा कर रख दिया। रातभर…

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रामबन/जम्मू। जम्मू-कश्मीर के रामबन ज़िले में रविवार तड़के मौसम ने ऐसा विकराल रूप ले लिया, जिसने पूरे इलाके को थर्रा कर रख दिया। रातभर हुई मूसलधार बारिश और भूस्खलन के साथ बादल फटने की घटनाओं ने जनजीवन को पूरी तरह से चरमरा दिया। लोग सहमे हुए हैं और हर ओर अफरा-तफरी का माहौल है।

सबसे भयावह दृश्य रामबन के सेरी बागना गांव में देखने को मिला, जहां तड़के अचानक बादल फट गया। कुछ ही पलों में हालात बेकाबू हो गए और गांव में बाढ़ जैसे हालात बन गए। पानी के तेज़ बहाव में कई मकान चपेट में आ गए। इस दिल दहला देने वाली घटना में अब तक तीन लोगों की जान जा चुकी है। मृतकों में दो सगे भाई आकिब अहमद और मोहम्मद साकिब भी शामिल हैं। यह हादसा तब हुआ जब अधिकतर लोग नींद में थे और उन्हें संभलने का मौका तक नहीं मिला। बीते 48 घंटों में जम्मू संभाग में बारिश से जुड़ी घटनाओं में अब तक पांच लोग जान गंवा चुके हैं।

धरम कुंड गांव में पानी ने विकराल रूप धारण कर लिया। अचानक आई बाढ़ ने वहां के करीब 40 मकानों को नुकसान पहुंचाया है। कई गाड़ियां पानी के साथ बह गईं। हालात ऐसे बने कि दर्जनों परिवारों को रात खुले आसमान के नीचे गुजारनी पड़ी। बच्चों और बुजुर्गों की तबीयत बिगड़ने लगी है और लोग भारी मानसिक तनाव में हैं।

प्राकृतिक आपदा का असर परिवहन पर भी पड़ा है। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-44) को नाशरी और बनिहाल के बीच भूस्खलन और भारी पत्थर गिरने के कारण दोनों ओर से यातायात के लिए बंद कर दिया गया है। जिला प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि मौसम में सुधार और सड़क मार्ग की बहाली तक यात्रा न करें।

इस बीच राहत और बचाव का काम युद्धस्तर पर जारी है। पुलिस, एसडीआरएफ और प्रशासन की टीमें लगातार फंसे हुए लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं। अब तक 100 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, लेकिन लगातार हो रही बारिश और दुर्गम रास्ते राहत कार्यों में बाधा बन रहे हैं।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आपदा से प्रभावित क्षेत्रों की समीक्षा के लिए अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है। वहीं, केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मौके पर तेज़ी से कार्रवाई के लिए प्रशासन की सराहना करते हुए केंद्र की ओर से हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया है।

रामबन की यह आपदा एक बार फिर साबित करती है कि पर्वतीय क्षेत्रों में मौसम किस कदर विकराल रूप ले सकता है और जीवन को पलभर में तहस-नहस कर सकता है।