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Almora- योग साधना पद्धतियों पर आधारित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का हुआ शुभारंभ

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अल्मोडा। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग में ‘योग साधना पद्धतियों का आधात्मिक-वैज्ञानिक आधार एवं चिकित्सकीय महत्व विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो नरेंद्र सिंह भंडारी, कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो जगत सिंह बिष्ट (निदेशक, शोध एवं प्रसार) , विशिष्ट अतिथि डॉ महेंद्र मेहरा मधु, अतिथि ललित लटवाल (अध्यक्ष, जिला सहकारी बैंक), डॉ मुकेश सामन्त (कुलानुशासक) और कार्यक्रम संयोजक, डॉ नवीन भट्ट (विभागाध्यक्ष) ने संयुक्त रूप से किया।

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विशिष्ट अतिथि रूप में अपने उद्बोधन में डॉ महेंद्र मेहरा मधु ने कहा कि योग का वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक आधार श्रीमदभगवद गीता है। इसमें यम नियम, आसान, ध्यान, धारणा, समाधि सभी कुछ है। उन्होंने योग के सभी पहलुओं पर विस्तार से व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि योग हमारे स्वास्थ्य को सबल बनाता है और हमें सुख प्रदान करता है। योग हमें मानव बनाता है। हमें योग साधना कर योग के महात्म्य को आगे ले जाने के लिए कार्य करना चाहिए।

विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो नरेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद एवं अल्बर्ट आइंस्टीन मेरे प्रेरक हैं। उन्होंने आगे कहा कि पहचान कर्म करने से होती है। हमारी पहचान योग-साधना है। मौन और ध्यान का हम प्राचीन शास्त्र में अध्ययन करते हैं। आज वैश्विक पटल पर योग चर्चा होने से भारत की पहचान बन रही है। पंचकर्म चिकित्सा, प्राण चिकित्सा, मर्म चिकित्सा, प्रकृतिक चिकित्सा आदि को संचालित कर हम अपनी आर्थिकी को मजबूत कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि जब कोटा में रसायन उद्योग बन सकता है तो यहां योग भी एक उद्योग बन सकता है।

कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो जगत सिंह बिष्ट (निदेशक, शोध एवं प्रसार)
योग में आसन, यम, नियम, धारणा, आहार, प्राणायाम आदि के सहारे हम अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकते हैं। योग का अर्थ है जोड़ना। उन्होंने कहा कि योग हमारी चित्त प्रवृत्तियों को नियंत्रित करता है। कार्यक्रम संयोजक डॉ नवीन भट्ट (विभागाध्यक्ष) ने कहा कि इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा योग के विभिन्न आयामों को लेकर विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। यौगिक साधना पद्धतियों का आध्यात्मिक-वैज्ञानिक आधार और चिकित्सकीय महत्व पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।

इस अवसर पर डॉ धाराबल्लभ की पुस्तक भीष्म प्रतिज्ञा का विमोचन अतिथियों ने किया। इस दौरान समस्त विद्यार्थी, शिक्षक, नगर के समाज सेवी, योग साधक आदि उपस्थित रहे।