नगर निगम नहीं जागा, इंसानी बिरादरी ने कायम की सामाजिक सौहार्द की मिशाल

Advertisements Advertisements लखनऊ । नगर निगम की मेहरबानी का इंतज़ार करते-करते लोगो की आंखें थक गयीं और रमजान का आधा महीना भी गुजर गया ]…

Municipal corporation did not wake up, human fraternity set an example of social harmony
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लखनऊ । नगर निगम की मेहरबानी का इंतज़ार करते-करते लोगो की आंखें थक गयीं और रमजान का आधा महीना भी गुजर गया ] लेकिन नगर निगम ने रोजा अफ्तारकी जगह की सफाई नहीं की। लखनऊ के इंदिरानगर  स्थित गाजीपुर और उससे सटी आवास विकास कालोनी के नागरिकों ने आखिरकार हाथ में फावड़ा, तसला और झाड़ू पकड़ा और गंदगी-मलबे से पटी रोजा अफ्तार की जगह को चमका दिया। तब कहीं जाकर रोजा अफ्तार का आयोजन मुमकिन हो सका।

इंसानी बिरादरी के खिदमतगार वीरेन्द्र कुमार गुप्ता ने बताया कि पिछले साल मोहर्रम के अगले दिन 2 अक्टूबर को सीवर लाइन बिछाने के लिए गलियां खोदी गयी थीं लेकिन उसे जस का तस छोड़ दिया गया। दोनों मेनहोल अधखुले पड़े रहे और उसके ढक्कन भी जर्जर बने रहे। पहले की तरह आज भी सीवर का पानी अक्सर उफनता रहता है जिस कारण वहा पर बीमारी और बदबू साम्राज्य बना हुआ है। सी ब्लाक मस्जिद के पीछे स्थित मजार के पास मलबे का ढेर है जिसके पास रोजा अफ्तार समेत तमाम सामाजिक कार्यक्रमों के लिए खाने-पीने का सामान पकाया जाता है। इलाके में पसरी गंदगी के बीच मजार के पास सालाना उर्स और मेला भी हुआ। उन्होंने आरोप लगते हुए कहा कि नगर निगम के अलावा पड़ोस में रहनेवाले भाजपा के स्थानीय पार्षद ने भी अपनी आंख और कान बंद रखे।

उन्होंने बताया कि साफ़-सफाई को लेकर कई-कई बार नगर निगम और जल संस्थान से गुहार लगायी। रोजा अफ्तार की जगह की बुरी हालत के बावत खबरें भी छपीं कि भीषण गंदगी ने लगाई रोजा अफ्तार पर रोक, कि नगर निगम की बेरूखी से रोजेदार दुखी, आदि-आदि। लेकिन ऐसी तमाम खबरें और गुजारिशें बेअसर रहीं। नगर निगम आंख मूंद कर सोता रहा, अपनी जिम्मेदारी से लगातार मुंह चुराता रहा।

रोजा अफ्तार हो या होली मिलन, इलाके के लोग जाति-धर्म से ऊपर उठ कर उसके आयोजन में जुटते हैं। सांप्रदायिक सौहार्द को तहस-नहस करने की तमाम कोशिशों के बावजूद इस परंपरा पर कोई आंच नहीं आयी है और यह बड़ी बात है। उन्होंने दुःख और आक्रोश के साथ कहा कि रोजा अफ्तार का आयोजन नगर निगम का इंतज़ार कब तक करता। आखिरकार लोगों ने कमर कसी और जो काम नगर निगम की जिम्मेदारी थी, उसे मिलजुल कर खुद पूरा किया। ख़ास बात यह कि मजबूरी के चलते ज़रूरी बन गए इस ‘स्वच्छता अभियान’ में महिलाओं की भी बराबर की भागीदारी रही।

उन्होंने कहा कि इंसानी बिरादरी नगर निगम की इस उदासीनता को रमजान के दौरान और उसके बाद भी उजागर करने का काम जारी रखेगा। ताकि पानी और स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाओं की सुनिश्चितता के लिए नगर निगम पर जन दबाव बनाते हुए उसे जिम्मेदार और जवाबदेह बनाया जा सके।