माता पिता, दादा दादी ढो रहे बच्चों के स्कूली बस्ते का वजन

काली कुमाऊं चम्पावत। स्कूली बच्चों के भारी भरकम बस्ते (बैग) अब दादा दादी और माता-पिता के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं। प्राइवेट स्कूलों की…

काली कुमाऊं चम्पावत। स्कूली बच्चों के भारी भरकम बस्ते (बैग) अब दादा दादी और माता-पिता के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं। प्राइवेट स्कूलों की तानाशाही के चलते बच्चों का स्कूली बच्चे का वजन हल्का होने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में बच्चों के अभिभावकों के पास अपने नौनिहालों का बस्ता ढोने के अलावा और कोई चारा नहीं बचता।

सरकारी आदेशों के बावजूद भी नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। स्कूली बच्चे के बस्ते का वजन घटने के बजाय लगातार बढ़ता जा रहा है। बताते चलें सरकार की तरफ से प्रत्येक कक्षा के लिए विषय वार स्कूली बच्चे के बस्ते का वजन नियत किया गया था लेकिन सरकारी आदेशों की अवहेलना कर प्राइवेट स्कूलों ने इन बस्तों का वजन घटाने के बजाय और ज्यादा बढ़ा दिया है। मुश्किल अब अभिभावकों के सामने सामने आ खड़ी हुई है कि कापी और किताब से भरा बस्ता विद्यालय तक आंखिरकार कैसे पहुंचाया जाए। बहरहाल माता-पिता दादा-दादी मिलकर बच्चों का बस्ता उसके स्कूल तक पहुंचाने को मजबूर हो गए हैं। अभिभावकों का कहना है कि जो बच्चे इन भारी भरकम बस्तों को अपने कंधे में लादकर स्कूल जा रहे हैं उनके कंधे झुके नजर आ रहे हैं।