जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बुधवार को हुए आतंकी हमले में मारे गए युवक शुभम द्विवेदी के परिजन इस समय श्रीनगर के एक होटल में सुरक्षा घेरे में ठहरे हुए हैं। शुभम के पिता डॉ. संजय द्विवेदी ने जानकारी दी कि उन्हें सेना के एक अधिकारी का फोन आया और थोड़ी ही देर में वे मुलाकात के लिए पहुंच गए। बातचीत के दौरान डॉ. संजय ने बेटे का शव जल्द सौंपने की अपील की ताकि अंतिम संस्कार की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी की जा सके। इस बीच कानपुर के जिलाधिकारी से भी उन्होंने संपर्क किया, जिन्होंने हर संभव मदद का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री कार्यालय से भी परिवार के पास संपर्क किया गया और उन्हें सरकार की ओर से हर सहायता दिए जाने की बात कही गई।
हमले का सबसे करुण दृश्य तब सामने आया जब शुभम की पत्नी ऐशन्या ने अपनी आंखों के सामने अपने पति को गोली लगते देखा। महज 70 दिन पहले सात फेरों के साथ बंधे इस रिश्ते की डोर एक पल में टूट गई। आतंकियों के सामने ऐशन्या ने शुभम की जान बख्श देने की कोशिश की, लेकिन डर और सदमे ने उसे जड़ बना दिया। शुभम को खोने के बाद ऐशन्या और उसकी सास सीमा का रो-रोकर बुरा हाल है। ऐशन्या के हाथों की मेहंदी अभी तक मिटी नहीं थी, लेकिन जिंदगी से उसका रंग छिन चुका है। परिजन उन्हें संभालने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पूरा परिवार सदमे में है। आर्मी के अधिकारी श्रीनगर में ठहरे परिवार को हर संभव सहायता दे रहे हैं।
कानपुर के श्यामनगर क्षेत्र स्थित ड्रीमलैंड अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 201 में मातम पसरा हुआ है। पास ही रहने वाले शुभम के चाचा मनोज द्विवेदी के घर पर रिश्तेदारों और क्षेत्रीय लोगों का जमावड़ा है। हर कोई इस दुखद घटना पर चर्चा कर रहा है और परिवार को ढांढस बंधाने की कोशिश में जुटा है। जैसे ही श्रीनगर से कोई कॉल आता है, पूरे घर का माहौल ठहर सा जाता है। हर किसी की आंखों में सवाल और चिंता है।
शुभम के पिता संजय द्विवेदी मूल रूप से हाथीपुर गांव के रहने वाले हैं और उनका सीमेंट का कारोबार है। संजय ट्रेडर्स के नाम से उनकी फर्म कानपुर-लखनऊ हाइवे पर स्थित है। 2023 में उन्होंने श्यामनगर स्थित ड्रीमलैंड अपार्टमेंट में परिवार के साथ रहना शुरू किया। शुभम उनका इकलौता बेटा था जो उनके साथ व्यापार में हाथ बंटा रहा था। परिवार में शुभम की मां सीमा, बहन आरती और बहन के पति शुभम दुबे हैं। बहन आरती की शादी पी रोड के निवासी शुभम दुबे से हुई है।
शुभम के चाचा मनोज द्विवेदी ने बताया कि 17 अप्रैल को परिवार के कुल 11 सदस्य टूर पर कश्मीर गए थे। इस दल में शुभम, उनकी पत्नी, माता-पिता, बहन, बहनोई और अन्य रिश्तेदार शामिल थे। वे दिल्ली से फ्लाइट द्वारा गुलमर्ग पहुंचे थे और पूरे परिवार ने साथ समय बिताया। लेकिन किसी को अंदाजा नहीं था कि यह सफर जिंदगी के सबसे बड़े हादसे में बदल जाएगा। मंगलवार दोपहर मनोज द्विवेदी ने फोन कर परिवार का हालचाल लिया था, लेकिन अगले ही दिन की खबर ने सब कुछ बदल दिया।
घटना की जानकारी जैसे ही गांव पहुंची, वहां कोहराम मच गया। हाथीपुर गांव के पुश्तैनी घर पर मातम पसरा हुआ है। ग्रामीण इस घटना से स्तब्ध हैं और परिजनों से संपर्क कर उन्हें ढांढस बंधा रहे हैं। श्यामनगर स्थित परिवार के घर पर भी लोगों की भीड़ उमड़ रही है। हर कोई इस जघन्य हमले की निंदा कर रहा है।
शुभम के परिवार की महाराजपुर क्षेत्र में राजनीतिक पहचान भी रही है। उनके दादा चंदन प्रसाद द्विवेदी 18 साल तक गांव के प्रधान रहे। बाद में चाचा सुभाष द्विवेदी ने भी 10 वर्षों तक प्रधान पद संभाला। वहीं, भाजपा नेता शैलेंद्र द्विवेदी उनके चचेरे भाई हैं। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और पूर्व मंत्री अनंत मिश्रा से भी परिवार के करीबी संबंध हैं। घटना की जानकारी मिलने पर सतीश महाना ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल से बात कर हालात की जानकारी ली और कानपुर में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम को भी स्थगित कर दिया।
इस पूरे मामले ने राज्यभर में चिंता और आक्रोश फैला दिया है। शुभम के परिजनों को अभी भी इस बात का इंतजार है कि कब उन्हें बेटे का पार्थिव शरीर सौंपा जाएगा ताकि वे उसे अंतिम विदाई दे सकें।