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एक्सक्लूसिव रिपोर्ट : आखिर क्यों गायब हो रहे है डिवाइडर

Newsdesk Uttranews
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प्रशासन का नही है ध्यान

आधे से अधिक डिवाइडर हो चुके है गायब

ललित मोहन गहतोड़ी

चम्पावत। जिला मुख्यालय से 13 किमी. दूर स्थित लोहाघाट नगर में ट्रैफिक नियंत्रण के लिए लगाए गये छोटे-छोटे प्लास्टिक के डिवाइडर एक एक कर टूटने लगे हैं। स्टेशन के बीचोंबीच लगाए डिवाइडरों को टूटने से यहां पर दुर्घटना की आशंका बढ़ गई है। इससे पहले इस स्थान पर लगाई रस्सी बहुत पहले ही टूट चुकी थी। इसके स्थान पर अब यह प्लास्टिक के छोटे छोटे डिवाइडर लगाये गये हैं।

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कुछ महीनों पहले प्रशासन की ओर से लगभग 150 से भी ज्यादा छोटे-छोटे प्लास्टिक के डिवाइडर स्टेशन बाजार में वाहनों के लिए टू वे मार्ग बनाते हुए सड़क के बीचोंबीच नटों के सहारे कसे गये थे। देखरेख के अभाव में इनमें से अब तक 75 से ज्यादा खंबे गायब हो गये हैं। इन गायब खंबों के बीच से अमूमन बहुत से राहगीर जल्दबाजी में सड़क पार करने की होड़ में रहते हैं। इस स्थान पर दोनों ओर से वाहनों के लिए वैकल्पिक तौर पर दिगालीचौड़, पिथौरागढ़, रौसाल, वरदाखान आदि जगहों के लिए सवारी बिठाए जाने के लिए पार्किंग सुविधा दी गई है। डिवाइडरों के बीच बीच में गायब होने से अचानक राहगीरों के फर्राटा मार रहे वाहनों के चपेट में आने का खतरा बढ़ गया है। स्थानीय नागरिक एक एक कर गायब हो रहे इन डिवाइडर को लेकर तमाम तरह के कयास लगा रहे हैं। क्योंकि इससे पहले इस जगह में बंधी रस्सी टूटकर गधे के सींग की तरह से गायब हो चुकी है। राहगीरों का कहना है कि इन डिवाइडरों के बीच बीच में टूटते रहने से असमय नगर की ट्रैफिक व्यवस्था भी चरमराती जा रही है। इसके चलते नगर में ट्रैफिक नियंत्रण के सरकारी दावे पूरी तरह से खारिज हो रहे हैं। 

दिन में दो बार लगता है लोहाघाट नगर में जाम 

प्रशासन की ओर से लोहाघाट में ट्रैफिक नियंत्रण के लाख दावे किये जा रहे हों लेकिन अधिकतर सुबह और शाम के समय लगभग रोजाना दो बार लोहाघाट नगर में जाम लगता है।  सुबह आठ से दस के बीच और सायं स्कूली बच्चों की छुट्टी के समय नगर की ट्रैफिक व्यवस्था लगभग चरमराकर रह जाती है। राहगीरों को इस दौरान तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पहाड़ की लाइफ लाइन मानी जाने वाली इस सड़क में लगते जाम के चलते ट्रैफिक कुछ देर के लिए थम जाता है।