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बिच्छू घास (सिसौण) से बनेगी हर्बल चाय, रेशा धागा और कपड़ा,कार्यशाला हुई शुरू

Newsdesk Uttranews
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अल्मोड़ा। पहाड़ के स्थानीय उत्पाद बिच्छू घास (सिसौण) से हर्बल चाय, रेशा धागा तथा कपड़ा आधारित उत्पाद तैयार करने के लिए जिला प्रशासन तथा ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना के तत्वाधान में प्रशिक्षण कार्यशाला शुरू हो गया है।

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रानीखेत तहसील के श्रद्धानंद क्रीड़ा मैदान ताड़ीखेत में आयोजित उदघाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता रानीखेत विधायक डॉ प्रमोद नैनवाल ने की तथा इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पर्यटन विभाग के विशेष कार्याधिकारी भास्कर खुल्बे, ग्राम्य विकास विभाग उत्तराखंड के सचिव बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने भी भागीदारी की।

Herbal tea fiber thread and cloth will be made from sisun grass 1


इस मौके पर विधायक प्रमोद नैनवाल ने उम्मीद जताते हुए कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यशाला के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद महिलाओं की आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पादों एवं स्थानीय औषधियों को रोजगार से जोड़कर पलायन की समस्या से निजात दिलाने की दृष्टि से भी इस कार्यक्रम का विशेष महत्व है।


मुख्य विकास अधिकारी अंशुल सिंह ने कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए कहा कि यह प्रशिक्षण तीन चरणों में आयोजित किया जाएगा जिसमे 100 महिलाओं को प्रशिक्षा दिया जाएगा तथा प्रत्येक चरण का प्रशिक्षण 5 दिनों का होगा। इसके तहत ताड़ीखेत ब्लॉक से 33 एवं भिकियासैंण ब्लॉक से 49 महिलाओं को चयनित भी किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के प्रथम चरण में महिलाओं को बिच्छू घास से रेशा निकालना, द्वितीय चरण में धागा तैयार करना तथा तृतीय चरण में धागे से कपड़ा तैयार करना सिखाया जाएगा।


इस दौरान विशेष कार्याधिकारी भास्कर खुल्बे ने कहा कि जनप्रतिनिधियों द्वारा की गई आजीविका की इस पहल से ग्रामीण महिलाओं की आर्थिकी में सकारात्मक परिवर्तन होगा तथा महिलाएं इस प्रशिक्षण के माध्यम से बिच्छू घास के विभिन्न उत्पाद बनाने की विधि प्राप्त करेंगी। उन्होंने कहा कि इस पहल से स्थानीय उत्पादों को बाहरी पहचान भी मिलेगी। उन्होंने प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षकों एवं प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली महिलाओं से अपील की है कि वह इस प्रशिक्षण को पूरे मनोयोग से पूरा करें।


जिलाधिकारी वंदना ने प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली सभी महिलाओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वह पूरे मनोयोग एवं सकारात्मकता के साथ प्रशिक्षण प्राप्त करें तथा अपनी आजीविका को बढ़ाएं। उन्होंने प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षकों को भी लगन एवं एवं निष्ठा से कार्य करने को कहा।