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उत्तराखंड के वर्तमान हालात पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने रखी अपनी बात

harish rawat

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देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने उत्तराखंड के वर्तमान हालात और भविष्य को लेकर चिंता जताते हुए कई मसलों को लेकर अपना दर्द बयान किया है। फेसबुक पोस्ट के माध्यम से हरीश रावत ने कहा कि सितंबर और अक्टूबर माह उत्तराखंड राज्य आंदोलन की घटनाओं और बलिदानियों के इतिहास का महीना है।

रावत ने आगे लिखा है कि आजादी की लड़ाई में भी यहीं 19 अगस्त से बलिदानों का दौर शुरू हुआ था। राज्य निर्माण के लिए भी यही सितंबर के महीने से 2 अक्टूबर तक उत्तराखंडियों ने बलिदान दिया। उन्होंने लिखा है कि एक महान देश की कल्पना और एक उन्नतशील गौरवशाली राज्य की कल्पना में ज्योंज्यों रामपुर तिराहे में हुए अत्याचारों की याद आ रही है तो उनका मन एक बात अपने आप से पूछ रहा है।

रावत ने लिखा कि क्या उन बलिदानियों की कल्पना यही रही कि गांव के घर खेत बिक जाएंगे। उनमें रिजार्ट बनेंगे और हम उसमें चौकीदार होंगे। क्या उनकी यही कल्पना थी कि विकास होगा, सड़कें व नहरें बनेंगी, दूसरे बड़े काम होंगे और उसमें हमारे लोग ठेकेदार नहीं किटकनदार होंगे और अब समूहस्य की परीक्षाओं में भी जिसमें सभी राज्य अपने लोगों को संरक्षण देते हैं, नौकरियां उत्तराखंड के लोगों की पहुंच से बाहर हो रही हैं।

रावत ने लिखा है कि उत्तराखंड का नक्शा नारसन से भटवाड़ीगंगोत्री तक, जसपुर से मुनस्यारी, मलारी तक है, सबके हितों पर चोट पहुंच रही है। कभी मन कहता है कि ये कहूं जागो उत्तराखंड, जागो। फिर देखता हूं कि हमारे लोग तो अत्यधिक सक्रिय भी हैं, संघर्षशील भी हैं तो कहां चूक हो रही है, कहां भूल हो रही है, इस पर क्या हम सामूहिक विवेचना का रास्ता नहीं निकाल सकते।

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