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‘गिर्दा’ को उनके गीतों, रचनाओं के जरिये किया याद

Newsdesk Uttranews
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पिथौरागढ़। जनकवि-संस्कृतिकर्मी गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ की 11वीं पुण्यतिथि पर उनकी स्मृति में ‘आरंभ स्टडी सर्कल’ की ओर से टकाना रामलीला मैदान, पिथौरागढ़ में गिर्दा स्मृति आयोजन’ कार्यक्रम किया गया। जिसमें जनगीत संध्या और परिचर्चा शामिल थी। बीती रविवार की शाम हुए इस कार्यक्रम की शुरुआत गिर्दा के प्रसिद्ध गीत ‘उत्तराखंड मेरी मातृभूमि’ गाने से हुई। इसके बाद सामूहिक रूप से गिर्दा के गीतों को गाया गया और उनसे जुुड़े संस्मरण, विचार और उनके गीतों पर वक्ताओं ने अपनी बात रखी।
 

महेंद्र रावत ने इस बात को रेखांकित किया कि किस तरह गिर्दा के गीतों ने उनको व्यक्तिगत रूप से समय समय पर प्रेरित और प्रभावित किया है। कहा कि उनके गीतों ने न केवल सामाजिक-राजनीतिक रूप से सचेत बनाने, बल्कि कुमाऊंनी भाषा से जोड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डॉ.दीप चौधरी ने गिर्दा से मुलाकातों के अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किये। जनमंच के भगवान रावत ने भी गिर्दा से अपनी मुलाकातों का जिक्र करते हुए उनके अंतिम दिनों पर मार्मिक रूप से बात रखी। एडवोकेट प्रदीप रावत ने रंगमंच के अपने अनुभवों और गिर्दा के नाटकों पर बात रखी।   
 

आरंभ के सोमेश ने गिर्दा की लेखनी में दिखने वाले गहरे इतिहासबोध की ओर इशारा करते हुए उसे नयी पीढ़ी के लिए एक बड़े मंथन का विषय बताया। छात्र दिनेश ने कहा कि गिर्दा के सपनों के सुंदर समाज की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करना ही उन्हें सच्चे रूप में याद करना होगा। थात संस्था के निर्मल साह ने गीतों की कमान संभाली तो भाव-राग-ताल नाट्य अकादमी के सदस्यों ने भी उनके  गीत प्रस्तुत किये। इस दौरान गिर्दा को याद करते हुए सामूहिक रूप से गाए जा रहे गीतों ने रामलीला मैदान के आसपास से गुजर रहे लोगों का ध्यान बरबस अपनी तरफ खींचा। इन गीतों में ‘ओ दिगौ लाली, जैंता एक दिन त आलो, पानी के ब्योपरी, हम ओड़, बारुड़ी कुल्ली, कभाड़ी आदि गीत शामिल थे। 
 

कार्यक्रम का संचालन अभिषेक ने किया। इस अवसर पर गिर्दा की किताबों, अन्य पुस्तकों और गिर्दा की कविताओं के पोस्टर प्रदर्शनी भी लगाई गई। इस अवसर पर पूर्व सभासद सुबोध बिष्ट, कुलदीप महर, हेमराज डफाली, सतीश जोशी, वेंकटेश, निशा कलौनी, मुकेश, दीपक, राकेश, किशोर, नूतन, चेतना, नितिन, मोहित, गौरांग, लक्ष्मण, रजत, पंकज, गणेश, कविता, शिवम आदि मौजूद थे।