फाँरगो नियमावली को लेकर कर्मचारी आक्रोशित, कहा अव्यवहारिक व काला कानून है यह नियमावली

अल्मोड़ा:: एजुकेशनल मिनिस्ट्रीयल आफीसर्स एसोसिएशन कुमाऊं मण्डल नैनीताल के पूर्व सचिव धीरेन्द्र कुमार पाठक ने कहा कि सरकार, शासन, विभाग द्वारा जबरन फाँरगो (पदोन्नति परित्याग)नियमावली…

Operation Smile will start again in Uttarakhand to search for missing people

अल्मोड़ा:: एजुकेशनल मिनिस्ट्रीयल आफीसर्स एसोसिएशन कुमाऊं मण्डल नैनीताल के पूर्व सचिव धीरेन्द्र कुमार पाठक ने कहा कि सरकार, शासन, विभाग द्वारा जबरन फाँरगो (पदोन्नति परित्याग)नियमावली को लागू की जा रही है जो कि काला कानून से कम नहीं है इसे निरस्त किया जाय।


श्री पाठक ने प्रेस को जारी बयान में कहा कि पूर्व में पदोन्नति होने पर कार्मिकों द्वारा कार्यभार ग्रहण नहीं करने पर एक भर्ती वर्ष के अन्तर्गत पदोन्नति पर विचार नहीं किया जाता था पुनः एक भर्ती वर्ष बीतने के बाद पुनः पदोन्नति की जाती थी। पारिवारिक कारणों, नवीन पदोन्नति पर अत्यधिक दूर होने व अन्य चिकित्सा कारणों से नहीं जाने पर कार्मिक कभी असमर्थ होते हैं।

सरकार द्वारा इन कारणों को नजरंदाज कर फाँरगो नियमावली लागू कर दी एक बार पदोन्नति में नहीं जाने पर पुनः पदोन्नति पर कोई भी विचार नहीं किया जा रहा है और जबरन कार्मिकों से शपथ पत्र भी लिया जा रहा है यह काला कानून उत्तराखंड में निरस्त होना चाहिए।


उन्होंने कहा कि सरकार व विभाग प्राकृतिक न्याय व मानवाधिकार को भी दृष्टिगत नहीं रह रहें हैं। धीरेन्द्र कुमार पाठक ने कहा कि उत्तराखंड में इस तरह के काले कानून व नियमावली को समाप्त करना चाहिए और पूर्व की भांति एक भर्ती वर्ष के भीतर पदोन्नति नहीं किए जाने का नियम को ही लागू करना चाहिए ताकि सभी को न्याय मिल सके।

उसी भर्ती वर्ष में पदोन्नति में नहीं जाने वाले कार्मिकों के स्थान पर वरिष्ठता के अनुसार पदोन्नति कर देनी चाहिए क्योंकि डेढ़ गुना सदस्यों से गोपनीय आख्या मांगी जाती है। इससे पद पूर्ति भी होगी।
सरकार विभाग व शासन को सदस्यों के मानवाधिकार व प्राकृतिक न्याय के दृष्टिगत भी निर्णय लिये जाना चाहिए। कहा कि फाँरगो नियमावली व्यवहारिक नहीं है इसे निरस्त करना चाहिए।