भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम समझौते पर डीजीएमओ की बातचीत, हॉटलाइन से बनी सहमति

भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम समझौता हाल ही में दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच बातचीत के बाद हुआ है। पाकिस्तान के डीजीएमओ…

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भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम समझौता हाल ही में दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच बातचीत के बाद हुआ है। पाकिस्तान के डीजीएमओ ने 10 मई को भारतीय डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई से फोन पर संपर्क किया और सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनाई। यह कदम सीमा पर तनाव को कम करने और स्थिति को शांत रखने की दिशा में अहम साबित हो सकता है।

डीजीएमओ होते कौन हैं?
डीजीएमओ भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी होते हैं, जो सैन्य अभियानों की देखरेख करते हैं। ये अधिकारी आमतौर पर लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर होते हैं और देश की सीमाओं पर सभी सैन्य कार्रवाईयों की योजना और संचालन की जिम्मेदारी संभालते हैं। वे सेना के प्रमुख से रिपोर्ट करते हैं और सामरिक और परिचालन स्तर पर सेना की तैयारियों को सुनिश्चित करते हैं।

डीजीएमओ का काम सिर्फ सैन्य अभियानों की देखरेख तक सीमित नहीं होता, बल्कि ये खुफिया जानकारी और अन्य सैन्य शाखाओं के साथ समन्वय भी करते हैं। इनके संपर्क में आने से सैन्य संचालन में अधिक सूक्ष्मता और तत्परता आती है। संकट की स्थिति में डीजीएमओ के पास हॉटलाइन के जरिए पाकिस्तान के डीजीएमओ से सीधे संपर्क करने का एक महत्वपूर्ण साधन होता है।

भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव के समय डीजीएमओ की भूमिका और भी बढ़ जाती है, क्योंकि वे संपर्क के पहले बिंदु होते हैं। सीमा पर तनाव बढ़ने पर इनकी तत्काल प्रतिक्रिया और निर्णय महत्वपूर्ण होते हैं। दोनों देशों के बीच गलतफहमी को दूर करने और संघर्ष को नियंत्रित करने में इनकी भूमिका अहम होती है।

भारत और पाकिस्तान के बीच संपर्क साधने के लिए एक हॉटलाइन का इस्तेमाल किया जाता है, जो 1971 के युद्ध के बाद स्थापित की गई थी। यह एक सुरक्षित और एन्क्रिप्टेड लैंडलाइन है, जिसे सिर्फ डीजीएमओ और अधिकृत सैन्य अधिकारियों के जरिए ही उपयोग किया जा सकता है। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच सैन्य संचार को सीधा और प्रभावी बनाना है।

यह हॉटलाइन केवल युद्ध विराम उल्लंघन, आकस्मिक क्रॉसिंग और सैन्य गतिविधियों के बारे में सूचित करने के लिए नहीं, बल्कि तनाव कम करने और सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए भी उपयोग में लाती है। 1991 से लेकर अब तक, इस हॉटलाइन का कई बार इस्तेमाल किया गया है, जैसे कि 1999 में करगिल युद्ध, 2003 में युद्धविराम, 2016 में उरी हमले के बाद और हाल ही में 2021 और 2025 में दोनों देशों के बीच सैन्य संघर्षों पर बातचीत के लिए।

पाकिस्तान के द्वारा 10 मई को बिना उकसावे के की गई गोलीबारी के बाद, भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ ने यह तय किया कि युद्ध विराम समझौते का पालन सख्ती से किया जाएगा, और यह हॉटलाइन के जरिए दोनों देशों के बीच की स्थिति पर निरंतर चर्चा होती रहेगी।