एक ताजा रिसर्च में चौंकाने वाली बात सामने आई है। रिसर्च कहता है कि कोरोना और फ्लू जैसे सांस से जुड़े वायरस छुपे हुए कैंसर सेल्स को फिर से जगा सकते हैं। खासकर उन लोगों में जो पहले ब्रेस्ट कैंसर से ठीक हो चुके हैं। रिसर्च में ये देखा गया कि जब शरीर में सांस से जुड़ा कोई वायरस जाता है तो फेफड़ों में छुपकर पड़े कैंसर सेल्स दोबारा एक्टिव हो जाते हैं। और फिर कुछ ही दिनों में नए ट्यूमर बनने लगते हैं।
ये रिसर्च अमेरिका की एक मेडिकल यूनिवर्सिटी ने किया है। सबसे पहले चूहों पर ट्रायल किया गया। फिर इंसानों के रिकॉर्ड देखे गए। रिसर्च के दौरान ये बात साफ दिखी कि जिन लोगों को पहले कैंसर हुआ था और बाद में उन्हें कोरोना या फ्लू हुआ तो उनमें दोबारा कैंसर फैलने का खतरा बढ़ गया। यही नहीं कोरोना के वक्त कैंसर से मरने वालों की संख्या भी पहले से ज्यादा हो गई थी।
डॉक्टरों ने बताया कि जब भी शरीर में कोई वायरस या चोट की वजह से सूजन होती है तो शरीर की इम्यून कोशिकाएं एक तरह का प्रोटीन छोड़ती हैं। यही प्रोटीन उन कैंसर सेल्स को दोबारा एक्टिव कर देता है जो पहले नींद में पड़े थे। इसी वजह से कैंसर दोबारा उभरने लगता है। रिसर्च में इस बात पर भी ज़ोर दिया गया कि अगर कोई पहले कैंसर से जूझ चुका है तो उसे हर तरह के वायरल इंफेक्शन से बचने की जरूरत है।
वैक्सीन लगवाना और डॉक्टर की सलाह लेना बेहद जरूरी बताया गया है। रिसर्च करने वालों में कुछ वैज्ञानिक नीदरलैंड से भी थे। उन्होंने कहा कि खासकर पहले साल में खतरा सबसे ज्यादा होता है। ये रिसर्च उस दौर की है जब कोरोना वैक्सीन आई भी नहीं थी। ऐसे में ये समझना जरूरी है कि आगे भी सांस के वायरस से कैंसर पीड़ितों को सतर्क रहना होगा।
ये स्टडी एक इंटरनेशनल मेडिकल जर्नल में छपी है। लेकिन इसका मकसद डर फैलाना नहीं बल्कि लोगों को वक्त रहते सावधान करना है। क्योंकि कैंसर से बचा जा सकता है लेकिन सतर्कता ही सबसे बड़ा इलाज है।
