जून में सर्द हवाएं और गिरता पारा, उत्तराखंड में बदले मौसम के पीछे क्या है बड़ी वजह? जानिए एक्सपर्ट्स की राय

Advertisements Advertisements उत्तराखंड में इस बार मौसम की चाल समझ से बाहर हो गई है। कभी पसीना छुड़ा देने वाली गर्मी तो कभी कंपकंपा देने…

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उत्तराखंड में इस बार मौसम की चाल समझ से बाहर हो गई है। कभी पसीना छुड़ा देने वाली गर्मी तो कभी कंपकंपा देने वाली ठंड। फरवरी में जब सर्दी का असर होना चाहिए था तब तापमान अचानक इतना बढ़ गया कि लोगों को पंखा चलाना पड़ा। अब जब जून का महीना चल रहा है तो गर्मी गायब हो गई है और सुबह शाम ठंडी हवाएं चल रही हैं जो सर्दी जैसा अहसास करा रही हैं।

हालत ये है कि पहाड़ से लेकर मैदान तक मौसम का मिजाज बिगड़ा हुआ नजर आ रहा है। देहरादून में तो इस बार जून में दस साल का रिकॉर्ड टूट गया है। तापमान इतना गिर गया कि लोगों को दुबारा गरम कपड़े निकालने पड़ गए हैं। मौसम विभाग ने बताया है कि फरवरी में तापमान सामान्य से पांच डिग्री ऊपर चला गया था। पच्चीस से सत्ताईस डिग्री के बीच पांच दिन तक पारा बना रहा। उस वक्त गर्मी के कारण लोगों को लगने लगा था कि सर्दी खत्म हो गई है। मगर अब जून में तापमान आठ डिग्री तक नीचे चला गया है जिससे अचानक फिर ठंड महसूस हो रही है।

मौसम निदेशक डॉक्टर बिक्रम सिंह ने जानकारी दी है कि पांच और छह जून को उत्तराखंड के कई हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। हालांकि छह जून को मैदानी इलाकों में मौसम शुष्क बना रहेगा। इसके बाद सात से लेकर दस जून तक पूरे प्रदेश में मौसम शुष्क बना रह सकता है।

देहरादून मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक रोहित थपलियाल का कहना है कि इस बार सर्दियों में पश्चिमी विक्षोभ ज्यादा मजबूत नहीं रहा और बारिश भी कम हुई। इसलिए तापमान ज्यादा था। लेकिन अब जून में पश्चिमी विक्षोभ मजबूत हुआ है। दो तीन दिन की बारिश से पारा तेजी से गिर गया है।

इस बदलते मौसम का असर सीधे लोगों की सेहत पर पड़ रहा है। वरिष्ठ फिजिशियन डॉक्टर कुमारजी कौल बताते हैं कि तापमान का बार बार ऊपर नीचे होना शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है। शरीर की एक सीमा होती है। अगर तापमान बहुत ज्यादा या बहुत कम हो जाए तो खांसी जुकाम बुखार जैसी दिक्कतें घेर सकती हैं। इसलिए ऐसे वक्त में लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है।

तीन जून को देहरादून में दिन का तापमान सिर्फ सत्ताईस दशमलव छह डिग्री दर्ज किया गया जो सामान्य से आठ डिग्री कम था। जबकि पिछले साल इन्हीं दिनों में तापमान तैंतालीस डिग्री तक चला गया था। रात का तापमान भी सामान्य से पांच डिग्री कम रहा। सत्रह दशमलव तीन डिग्री तापमान जून में दो हजार पंद्रह के बाद अब तक सबसे कम दर्ज किया गया। हालांकि जून का अब तक का सबसे कम तापमान उन्नीस सौ छियासी में तेरह दशमलव एक डिग्री दर्ज हुआ था। पंतनगर में अठारह दशमलव नौ मुक्तेश्वर में सात दशमलव छह और नई टिहरी में नौ दशमलव चार डिग्री तापमान दर्ज हुआ।

इस बार मानसून के समय से पहले आने की भी उम्मीद जताई जा रही है। मौसम वैज्ञानिक रोहित थपलियाल ने बताया कि केरल में इस बार मानसून आठ दिन पहले आ चुका है और अब तेजी से आगे बढ़ रहा है। उत्तराखंड में मानसून सामान्य तौर पर बीस जून के आसपास पहुंचता है। लेकिन इस बार उम्मीद की जा रही है कि वह तय समय से पहले ही दस्तक दे सकता है।