अल्मोड़ा। गणतंत्र दिवस के दिन जिस अधिकारी को सरकार ने उत्कृष्टता का पुरस्कार दिया जा रहा था उसी समय सरकार की ओर से उसी अधिकारी को अनियमितता की कथित शिकायत पर तत्काल इस तैनाती से हटाकर निदेशालय संबद्ध करने का फरमान सुना दिया था। अब जबकि सरकार के निर्देश को 11 दिन बीत गए है। वह आदेश अभी तक लागू नहीं हो पाया है। इस प्रकरण में जहां सरकार की जल्दबाजी सामने दिखी वहीं तत्काल कर्मचारी संगठनों द्धारा जताए गए विरोध के चलते भी सरकार को एक प्रकार से झुकना पड़ा। कार्यालय सूत्रों के मुताबिक एक प्रकार से यह आदेश निष्प्रभावी सा हो गया है।
यहां बात हो रही है अल्मोड़ा में कार्यरत सीईओ जगमोहन सोनी के संबद्धीकरण मामले की। चर्चाओं में रहा यह मामला गणतंत्र दिवस के दिन सामने आया था।इस दिन प्रभारी मंत्री हरक सिंह रावत, केन्द्रीय मंत्री अजय टम्टा ने पुलिस लाइन में अधिकारियों के बीच सीईओ अल्मोड़ा को उत्कृष्टता का पुरस्कार दिया था। उसी समय शासन स्तर से अनियमितता की कथित शिकायत के बाद सीईओ सोनी को निदेशालय अटैच करने का फरमान जारी कर दिया। जानकारी के अनुसार पिथौरागढ रवानगी के दौरान मार्ग में ही उनकी शिकायत की और बिना किसी जांच के तत्काल फरमान सुना दिया। इसके बाद माहौल गर्मा गया। कर्मचारी संगठनों ने भी मंत्रालय को अपनी शिकायत दर्ज करा कर विरोध जताया। यहीं नहीं निर्णय से पूर्व कार्रवाई की बात भी उठाई। इधर सीईओ सोनी का कहना है कि सरकार का जो अग्रिम आदेश आयेगा उसी के अनुसार कार्य किया जाएगा। जबकि कार्यालय सूत्रों के मुताबिक यह आदेश एक प्रकार से निष्प्रभावी हो गया है।
मामले को लेकर विपक्ष भी सरकार को घेरने से नहीं चूक रहा है। विपक्ष का कहना है कि यदि अधिकारी गलत भी था तो लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत जांच होनी चाहिए थी। और यदि सरकार ही सही थी तो 11 दिन बाद कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है। इससे साफ है कि सरकार अपने ही निणर्य पर फंस कर रह गई है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष पीताबंर पांडे ने कहा कि सरकार अपनी ही नीतियों पर फंस रही है और उसकी गलत नीतियां ही उसे बैकफुट पर पर जाने को बाध्य कर रही है। उन्होंने कहा कि जिस अधिकारी को चयन कर सरकार ने उत्कृष्टता का पुरस्कार दिया उसी अधिकारी को कथित शिकायत पर दंड देने का कार्य कर अपनी किरकिरी कराई है।