दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए विस्फोट की जांच ने एक सुनियोजित और व्यापक साजिश का रुख अख़्तियार कर लिया है। शुरुआती जांच से मिले सुराग गुजरात और जम्मू-कश्मीर तक जुड़े नेटवर्क की ओर इशारा कर रहे हैं। गुजरात एटीएस ने तीन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है जिनके बयान और बरामद सबूतों के आधार पर एजेंसियों ने कहा है कि हमलावरों ने बहु-शहरी हमले (दिल्ली, लखनऊ और अहमदाबाद) की सामूहिक योजना बना रखी थी।
पुलिस और खुफिया एजेंसियों के अनुसार गिरफ्तार आरोपियों ने खुलासा किया कि उनकी योजना विस्फोटों के साथ-साथ रासायनिक ज़हरीले पदार्थ के इस्तेमाल से बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने की भी थी। गुजरात एटीएस ने एक संदिग्ध डॉक्टर सैयद अहमद को पकड़ा है — जिनके पास से हथियारों के साथ कुछ रसायन तथा संदिग्ध दस्तावेज़ भी बरामद हुए। आरोपियों और बरामद सामग्री की जांच से जुड़े डिजिटल सबूतों में विदेशी हैंडलर्स के साथ संपर्क के संकेत मिले हैं, जिनके कनेक्शन पाकिस्तान-आधारित मॉड्यूल्स तक जाँचे जा रहे हैं।
जाँच एजेंसियों ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों ने अहमदाबाद, लखनऊ और दिल्ली के विशिष्ट लक्ष्यों की रेकी कर रखी थी — भीड़भाड़ वाले बाजार, संवेदनशील संस्थान और कुछ प्रतिष्ठित स्थलों पर समन्वित हमलों का इरादा था। दिल्ली विस्फोट (10 नवम्बर) में इस्तेमाल हुई आई-20 कार से जुड़े सुरागों की भी पोलखोल की जा रही है; पुलिस कार के मालिकाना हक और उसकी मूवमेंट हिस्ट्री समेत कई पहलुओं को खंगाल रही है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), प्रवर्तन इकाइयां, गुजरात एटीएस, दिल्ली स्पेशल सेल और अन्य निकाय मिलकर तफ्तीश कर रहे हैं। देश भर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और कई बड़े शहरों में हाई-सिक्योरिटी जोन लागू किए गए हैं। एजेंसियां फिलहाल यह स्थापित करने में लगी हैं कि गिरफ्तार संदिग्धों का विस्फोट से प्रत्यक्ष संबंध कितना गहरा है और इस नेटवर्क में और कौन-कौन लोग शामिल हैं।
