अमोल मजूमदार, जिन्होंने कभी टीम इंडिया की जर्सी नहीं पहनी, मगर भारतीय बेटियों को बना दिया दुनिया की चैंपियन

भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने आखिरकार वो कर दिखाया जो सालों से एक सपना बनकर रह गया था। हरमनप्रीत कौर की कप्तानी में भारत ने…

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भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने आखिरकार वो कर दिखाया जो सालों से एक सपना बनकर रह गया था। हरमनप्रीत कौर की कप्तानी में भारत ने पहली बार महिला वर्ल्ड कप जीत लिया। दो बार फाइनल तक पहुंचने के बाद जो ख्वाब अधूरा था, वो इस बार पूरा हुआ। इस जीत के पीछे जितना श्रेय कप्तान और खिलाड़ियों को जाता है, उतना ही बड़ा हाथ उस कोच का भी है जिसने टीम को नई पहचान दी। वो शख्स जिसने खुद कभी भारत की जर्सी नहीं पहनी, लेकिन लड़कियों को वर्ल्ड चैंपियन बना दिया।

अमोल मजूमदार नाम का ये कोच घरेलू क्रिकेट में एक जाना पहचाना चेहरा रहा है। उन्होंने अपने करियर में ग्यारह हजार से ज्यादा रन बनाए। रणजी ट्रॉफी में डेब्यू मैच में दो सौ साठ रन ठोके, जो आज भी रिकॉर्ड है। सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली जैसे दिग्गजों के साथ खेले। राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली के साथ इंडिया ए टीम में मैदान संभाला। फिर भी उन्हें कभी भारतीय टीम के लिए खेलने का मौका नहीं मिला। शायद उस वक्त टीम का मिडिल ऑर्डर पहले से ही महान बल्लेबाजों से भरा था।

साल दो हजार चौदह में उन्होंने बल्ला टांग दिया और क्रिकेट कोचिंग में कदम रखा। बीसीसीआई ने उन्हें दो हजार तेईस में महिला टीम की जिम्मेदारी सौंपी। बस यहीं से कहानी बदल गई। उन्होंने लड़कियों को भरोसा दिया कि वे भी इतिहास लिख सकती हैं। दो हजार पांच और दो हजार सत्रह में जो सपना अधूरा रह गया था, वो दो हजार पच्चीस में पूरा किया जा सकता है।

रविवार रात जब भारत ने दक्षिण अफ्रीका को बावन रन से हराकर विश्व कप पर कब्जा किया, तो मैदान में जश्न का तूफान था। हरमनप्रीत कौर ने जैसे ही ट्रॉफी उठाई, सबसे पहले कोच अमोल मजूमदार के पैर छुए। उस गुरु को प्रणाम किया जिसने टीम को एक दिशा दी। अमोल मजूमदार का जन्मदिन ग्यारह नवंबर को है, और इससे बड़ा तोहफा शायद उनके लिए कोई हो ही नहीं सकता था।

जीत के बाद उन्होंने बस इतना कहा कि शब्द नहीं हैं, ये पल गर्व से भर देने वाला है। टीम ने मेहनत और विश्वास के दम पर हर भारतीय को सिर ऊंचा करने का मौका दिया है। यह जीत महिला क्रिकेट के लिए एक नया अध्याय है।