एक दूसरे की पूरक है अल्मोड़ा और अल्मोड़ा की बाल मिठाई

उत्तरा न्यूज डेस्क
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देश के कोने कोने में पहचान रखती है यह मिठाई

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उत्तरा न्यूज डेस्क:— सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा कहें या बाल मिठाई का शहर, दोनों बाते एक दूसरे की पूरक हैं। यदि यह कहा जाय कि आप अल्मोड़ा आए और शुद्ध खोए की इस लजीज मिठाई का स्वाद आपने नहीं लिया तो फिर यह माना जाएगा कि आप अल्मोड़ा की एक पहचान से वंचित रहे हैं।

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स्थानीय लोग हों या सैलानी अल्मोड़ा आकर अपने परिचितों और शुभ चिंतकों के लिए अल्मोड़ा की इस सौगात को ले जाना नहीं भूलते। मिठाई के डिब्बे में पर्वतीय अंचल की सौगात लिखा देख यह मान लिया जाता है कि इस बाक्स में अल्मोड़ा की प्रसिद्ध बाल मिठाई या उसके समकक्षीय मिष्ठान रखे हुए हैं। बाल मिठाई काफी पुराने और प्र​स़द्ध मिठाई है। सिंगौड़ी, चौकलेट या फिर मलाई के लड्डू इसके आविश्कारिक उत्पाद है। सभी में एक खासियत है कि इनका निर्माण शुद्ध पहाड़ी खोए से किया जाता है। बालमिठाई को तैयार करने में तीन से चार घंटे का वक्त लगता है। शुद्ध खोये को भून कर चौकलेटी कलर आने तक तैयार किया जाता है। टुकड़ों में काटने के बाद इसमें पोस्त दाना लगाया जाता है इसके बाद बाल मिठाई तैयार हो जाती है। आज यह मिठाई अल्मोड़ा ही नहीं बल्कि देश के हर कोने के अलावा विदेशों में भी प्रसिद्ध हैं और लोग काफी चाव से इसका आनंद लेते हैं। बाल मिठाई की एक बड़ी खासियत यह है कि इसका भंडारण काफी आसान होता है और यह अन्य मिठाईयों के तरह ही जल्द खराब नहीं होती है। यदि आप भी अल्मोड़ा आए हैं तो लजीज पांक कला के अविष्कार बाल मिठाई का स्वाद लेना नहीं भूले शहर की सीमा में प्रवेश करते ही मिठाई की हर दूकान में यह उत्पाद दिखेगा यूं कहें कि मिठाई की दुकान में बाल मिठाई होना ही यहां की मिठाई की दुकान की पहचान है।

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