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अल्मोड़ा— गुलदार की खाल तस्करों को पाॅच-पाॅच साल की सजा

Newsdesk Uttranews
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अल्मोड़ा। गुलदार के खाल की तस्करी के मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने दो अभियुक्तों को वन जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत 5-5 वर्ष कठोर करावास की सजा सुनाई है. अभियुक्तों को 20-20 हजार अर्थदंड से भी दंडित किया है। यही नहीं अर्थदंड की राशि अदा न करने पर दोनों को छह-छह माह का अतिरिक्त कारावास भी भोगना होगा.

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मामले में अभियुक्त राजेश सिंह करमियाल पुत्र हिम्मत सिंह निवासी ग्राम कर्मी थाना कपकोट एवं अभियुक्त सूरज भीमा पुत्र पुष्कर सिंह निवासी चौड़ा लोहाखेत थाना कपकोट पर गुलदार की खाल तस्करी का आरोप था.

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मामला 16 सितंबर 2018 का है. इस तिथि को ताकुला एसआई संतोष तिवारी की ओर से ताकुला बाजार में वाहन चैंकिग अभियान चलाया जा रहा था. इस दौरान एक मोटर साईकिल संख्या यूके— 01 बी-5536 में सवार दो व्यक्ति संदिग्धावस्था में बैग छोड़ भागने लगे.
पुलिस ने दोनों का पीछा किया और धर दबोचा बरामद बैग को चैक करने पर अंदर से एक पारदर्शी पन्नी में गुलदार की खाल बरामद की. बरामद खाल को सड़क पर कांस्टेबल अशोक बुदीयाल द्वारा बिछाकर नापी गई तो खाल की लंबाई सिर से पूूॅछ तक 9 बालिस्ट 8 अंगुल चैड़ाई 5 बालिस्त एवं पूॅछ की लंबाई 3 बालिस्ट 8 अंगूल थी.

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घटना की सूचना पुलिस ने फाॅरेस्टर जीत सिंह रावत एवं रेंजर संचिता वर्मा को दी. अभियुक्त राजेश सिंह करमियाल पुत्र हिम्मत सिंह निवासी ग्राम कर्मी थाना कपकोट एवं अभियुक्त सूरज भीमा पुत्र पुष्कर सिंह निवासी चौड़ा लोहाखेत थाना कपकोट दोनों अभियुक्त गणों के विरूद्ध धारा 2/9/39/49/51 वन्य जीव अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार किया। विवेचना अधिकारी द्वारा विवेचना पूर्ण कर आरोप पत्र मुख्य न्यायिक मजिस्टेªट अल्मोड़ा की अदालत में पेश किया। मामले का विचारण मुख्य न्यायिक मजिस्टेªट अल्मोड़ा की अदालत में चला। अभियोजन की ओर से सात गवान परिक्षत कराये गये। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा गवाहों के बयानों व दस्तावेजी साक्ष्यों का परिशीलन कर अभीयुक्तगणों को धारा 51 वन जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत 5-5 वर्ष कठोर करावास व 20-20 हजार अर्थदण्ड से दंडित किया। अर्थदंड जमा नहीं करने पर 6-6 माह का अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई।

मामले में जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी पूरन सिंह कैड़ा, सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी शेखर चन्द्र नैनवाल व हरीश मनराल एवं विशेष लोक अभियोजक भूपेंद्र कुमार जोशी ने प्रबल पैरवी दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर न्यायालय ने तस्करों को उक्त सजा से दंडित किया.