आगरा धर्मांतरण: पबजी खेलते-खेलते मुजाहिदा बनने की ठानी छोटी बहन ने, बड़ी बहन ने किया दिमागी खेल

आगरा की एक ऐसी सच्चाई सामने आई है जिसने सबको हैरान कर दिया है। मामला दो सगी बहनों से जुड़ा है। छोटी बहन जोया जिसकी…

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आगरा की एक ऐसी सच्चाई सामने आई है जिसने सबको हैरान कर दिया है। मामला दो सगी बहनों से जुड़ा है। छोटी बहन जोया जिसकी उम्र अभी ज्यादा नहीं है। लॉकडाउन के वक्त जब स्कूल बंद हो गए तो किताबों की जगह मोबाइल ने ले ली। फिर शुरू हुआ ऑनलाइन गेम खेलने का सिलसिला। उसे पबजी की ऐसी लत लगी कि दिन हो या रात बस गेम खेलना ही सब कुछ बन गया। गोलियां चलाना। दुश्मनों को मारना। खुद को बचाना। ये सब उसकी सोच में घर कर गया।

जोया की बड़ी बहन पहले ही इस्लाम की ओर झुक चुकी थी। उसे पता था कि छोटी बहन अब गेम की वजह से हिंसा की तरफ जा चुकी है। उसने इसका फायदा उठाया। धीरे धीरे उसने छोटी बहन के दिमाग में धर्म से जुड़ी बातें भरनी शुरू कर दीं। जोया को अब असली हथियार उठाने का मन होने लगा था। वह सपने में भी खुद को एक लड़ाकू की तरह देखने लगी थी। बड़ी बहन ने धर्मांतरण कराने वाले गिरोह को सारी बात बताई। उन्होंने कहा कि अभी इंतजार करो। जब तक छोटी बहन बालिग नहीं हो जाती तब तक कुछ मत करो।

जैसे ही जोया की उम्र अठारह हुई। दोनों बहनों ने घर छोड़ने की तैयारी कर ली। लेकिन वक्त रहते पुलिस और एजेंसियों को जानकारी मिल गई और उन्हें उस गिरोह के चंगुल से आजाद करा लिया गया। अब दोनों की काउंसलिंग चल रही है। बड़ी बहन फिर भी कुछ हद तक समझ रही है। लेकिन छोटी बहन अभी भी मुजाहिदा बनने की जिद में अड़ी है। जब काउंसलर ने उसे समझाया कि यह जुर्म है तो उसने यह मानने से इनकार कर दिया।

बातचीत में यह भी सामने आया कि उनके चाचा ने दो शादी की थी। इससे बड़ी बहन के मन में हिंदू धर्म को लेकर गुस्सा भर गया। उसका कहना था कि हमारे धर्म में तो एक ही शादी की इजाजत है लेकिन चाचा ने दो कर लीं। इसीलिए वह इस्लाम को बेहतर मानने लगी जहां पहले से ही सब साफ बताया गया है कि एक पुरुष कई निकाह कर सकता है।

छोटी बहन पर गेम का इतना असर हुआ कि वह गेम की दुनिया को हकीकत मानने लगी। पबजी खेलते खेलते उसकी सोच ही बदल गई। वह लड़ना चाहती थी। गोली चलाना चाहती थी। यह वही वक्त था जब उसे सही और गलत का फर्क समझाना बहुत जरूरी था लेकिन तब कोई नहीं समझा पाया।

मन के डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे गेम दिमाग पर गहरा असर डालते हैं। जब कोई बच्चा बार बार जीतता है तो उसके मन में एक खुशी की लहर उठती है। इसी के चलते वह बार बार गेम की तरफ खिंचता है। धीरे धीरे असली दुनिया से कटने लगता है। खेल न भी खेले तब भी उसके बारे में सोचता रहता है। उसके व्यवहार में चिड़चिड़ापन आने लगता है। पढ़ाई छूट जाती है। रिश्तों से दूरी बनने लगती है। शरीर का वजन बढ़ता है। नींद की समस्या होने लगती है। और सबसे बड़ी बात यह कि उसे घर वाले अपने दुश्मन लगने लगते हैं।

डॉक्टरों की सलाह है कि अगर शुरुआत में ही बच्चों में गेम की लत के लक्षण दिख जाएं तो बिना देर किए इलाज शुरू करा देना चाहिए। वरना बहुत देर हो जाती है। जैसे आगरा की इन बहनों के साथ हुआ। जोया आज जिस मोड़ पर खड़ी है वहां से वापस लाना आसान नहीं है। लेकिन कोशिश जारी है।