बागेश्वर और अल्मोड़ा क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग को सुविधाजनक बनाया जा रहा है जिसकी वजह से करीब 5745 पेड़ों को काटा जा रहा है। उत्तरकाशी में हजारों पेड़ काटने को लेकर लगातार विरोध भी चल रहा है। अब बागेश्वर से भी एक प्रोजेक्ट के लिए हजारों पेड़ काटे जाने की तैयारी चल रही है।
बागेश्वर कांडा नेशनल हाईवे को जिला मुख्यालय से घिंघारुतोला तक बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है जिसके लिए प्रोजेक्ट के आड़े आने वाले 5700 से ज्यादा पेड़ों को काटने की तैयारी हो रही है।
बागेश्वर अल्मोड़ा क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग को सुविधाजनक बनाया जा रहा है जिसकी वजह से यह पेड़ काटे जा रहे हैं और अब इसको लेकर सभी तैयारियां भी पूरी हो चुकी हैं। बाकी बची औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए अधिकारी जुटे हुए हैं। यह पूरा मामला बागेश्वर कांडा राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा है जिसे बेहतर बनाने के लिए प्रयास किया जा रहे हैं।
नेशनल हाईवे को अच्छा बनाने के लिए इस प्रोजेक्ट को पांच चरणों में बनता भी गया है। वैसे तो यह प्रोजेक्ट बागेश्वर और अल्मोड़ा दोनों ही जिलों में आता है लेकिन इसका अधिकतर हिस्सा बागेश्वर क्षेत्र में है यानी कि अधिकतर वृक्ष बागेश्वर में ही काटे जाएंगे।
बागेश्वर के वन अधिकारी ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में करीब 5745 वृक्ष काटे जा रहे हैं। ये प्रोजेक्ट अल्मोड़ा और बागेश्वर दोनों जिलों में पांच पार्ट में किया जाएगा। बागेश्वर डीएफओ आदित्य रत्न ने कहा नियम शर्तों के अनुसार काटे जाने वाले पेड़ों की क्षतिपूर्ति के लिए चार गुना पौधा रोपण किया जाएगा।
इस प्रोजेक्ट में कई प्रजातियों के पेड़ प्रभावित होंगे। खास बात यह है कि तमाम फलदार पेड़ भी प्रोजेक्ट को प्रभावित कर रहे हैं जिसके कारण इन्हें भी काटने को लेकर चिन्हित किया गया है। इन पेड़ों में देवदार से लेकर, अखरोट, काफल, जामुन, अमरूद, नाशपाती, शहतूत, आम, बांज समेत करीब 30 से ज्यादा वृक्षों की प्रजातियां शामिल हैं।
पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन की भी समस्या होती है। ऐसे में वृक्षों के काटने से और सड़क निर्माण की वजह से भूस्खलन का लगातार खतरा बढ़ गया है। आपको बता दे की उत्तरकाशी में भी राष्ट्रीय राजमार्ग को बेहतर बनाने के लिए 6000 से ज्यादा वृक्ष काटे गए। इसको लेकर पर्यावरण प्रेमी लगातार विरोध भी जता रहे हैं।
