क्रिकेट से संन्यास के बाद पुजारा ने किया खुलासा, धोनी की कप्तानी में डेब्यू को बताया यादगार

भारतीय टेस्ट टीम के भरोसेमंद बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने रविवार को क्रिकेट को अलविदा कह दिया। पिछले दो साल से वह टीम इंडिया का हिस्सा…

भारतीय टेस्ट टीम के भरोसेमंद बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने रविवार को क्रिकेट को अलविदा कह दिया। पिछले दो साल से वह टीम इंडिया का हिस्सा नहीं थे और आखिरकार उन्होंने संन्यास लेने का फैसला किया। पुजारा ने कहा कि उन्हें कोई अफसोस नहीं है बल्कि वह खुद को खुशकिस्मत मानते हैं कि इतने लंबे वक्त तक देश के लिए खेलने का मौका मिला। उन्होंने अपने शहर में मीडिया से बातचीत के दौरान परिवार और अपने चाहने वालों का शुक्रिया अदा किया। हाल ही में उन्होंने इंग्लैंड में बतौर कमेंटेटर काम शुरू किया है और इशारा किया कि अब आगे का रास्ता इसी तरफ होगा।

पुजारा ने 2010 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया था और अपने करियर में 103 मैचों में 7195 रन बनाए। इसमें 19 शतक शामिल हैं और उनका औसत 43 से ऊपर रहा। तीसरे नंबर पर उन्होंने एक दशक तक भारतीय बल्लेबाजी को मजबूती दी। उनका सबसे यादगार दौर 2018-19 का ऑस्ट्रेलिया दौरा रहा जब उन्होंने तीन शतक ठोके और 521 रन बनाए। इस सीरीज में उनकी बल्लेबाजी भारत की ऐतिहासिक जीत की नींव बनी। उन्होंने कहा कि धोनी की कप्तानी में डेब्यू करना उनके लिए सपना पूरा होने जैसा था क्योंकि उस वक्त टीम में सचिन द्रविड़ लक्ष्मण और सहवाग जैसे दिग्गज मौजूद थे।

पुजारा ने इस मौके पर अपनी दिवंगत मां रीना पुजारा को याद किया जिनका 2005 में निधन हो गया था। उन्होंने कहा कि मां हमेशा कहती थीं कि एक दिन वह भारत के लिए खेलेंगे और उनका यह सपना पूरा हुआ। साथ ही उन्होंने अपने आध्यात्मिक गुरु हरिचरण दास महाराज का भी आभार जताया जिनकी वजह से वह हमेशा मानसिक रूप से मजबूत बने रहे। पुजारा का संन्यास भारतीय क्रिकेट के लिए एक युग का अंत है। मैदान पर भले ही वह अब नजर न आएं लेकिन उनकी धैर्य भरी बल्लेबाजी और समर्पण हमेशा अगली पीढ़ी के खिलाड़ियों के लिए मिसाल बनी रहेगी।