जन्मदिन पर दुनिया को अलविदा कह गये नारायण दत्त तिवारी

Newsdesk Uttranews
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उत्तरा न्यूज डेस्क
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी का निधन हो गया है। उन्होने दिल्ली के मैक्स हास्पिटल मे अंतिम सांस ली। उनका नाम देश के एक ऐसे पहले राजनीतिज्ञ में शुमार था जो कि दो राज्य के मुख्यमंत्री रहे।
एनडी तिवारी ने केंद्र में वित्त, विदेश, उद्योग, श्रम मंत्रालयों की बागडोर संभाली और यूपी और उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री भी रहे। वह 2002 से 2007 तक उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री रहे।
नारायण दत्त तिवारी का जन्म 1925 में नैनीताल जिले के बलूटी गांव में हुआ था। तिवारी के पिता पूर्णानंद तिवारी वन विभाग में अधिकारी रहे। उनके पिता ने महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से प्रेरित होकर इस्तीफा दे दिया था।
एनडी तिवारी को 1942 में वह अग्रेजों के खिलाफ नारे वाले पोस्टर और पंपलेट छापने के अपराध में जेल में डाला गया। यह अजब संयोग था कि जिस नैनीताल जेल में उन्हे डाला गया उनके पिता भी उस समय उसी जेल में ​बंद थे। अपनी प्रांरभिक शिक्षा हल्द्वानी,बरेली से करने के बाद तिवारी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में राजनीतिशास्त्र में विश्वविद्याल में टाप किया । उन्होने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ही एलएलबी भी की।
पहले एनडी तिवारी सोशलिस्ट पार्टी में रहे। कांग्रेस से वह बाद में जुड़ेै। 1965 में वह कांग्रेस के टिकट से काशीपुर सीट से विधायक चुने गये। 69 से 1971 तक कांग्रेस की युवा संगठन के अध्यक्ष रहे। 1976 को वह पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 1977 के जयप्रकाश आंदोलन की वजह से उन्होने इस्तीफा दे दिया।
राजीव गांधी की मौत के बाद वह कांग्रेस से प्रधानमंत्री पद के दावेदारों की चर्चा में उनका नाम भी था लेकिन वह लोकसभा चुनाव नही जीत सके। 2002 से 2007 तक उन्होने उत्तराखण्ड के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल संभाला। वह अभी तक के पहले ऐसे मुख्यमंत्री है जिसने अपना 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा किया। बाद में तिवारी आंध्रप्रदेश के राज्यपाल बनाए गए लेकिन उनका कार्यकाल विवादो में रहा और उन्हे इस्तीफा देना पड़ा।