देहरादून में छात्र एंजेल चकमा को उनके खिलाफ उठाई गई आवाज के कारण बेरहमी से मारा गया। मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, उनके ब्रेन में ब्लीडिंग हुई थी। सिर पर चोट के साथ ही उनके हाथ-पैरों पर गहरे जख्म थे और रीढ़ की हड्डी को भी गंभीर नुकसान पहुंचा था, जिससे शरीर के दाहिने हिस्से में हलचल बंद हो गई थी। एंजेल अस्पताल में 14 दिन तक जिंदगी और मौत से जूझते रहे, लेकिन उनकी मौत हो गई।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को एंजेल के पिता, सीमा सुरक्षा बल में तैनात तरुण प्रसाद चकमा से बात कर दुख जताया। सीएम ने हत्या में शामिल सभी आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया। पांच आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं, एक आरोपी नेपाल भाग गया है और उसे पकड़ने के लिए इनाम की घोषणा की गई है।
घटना 9 दिसंबर को सेलाकुई बाजार में हुई थी। उस समय एंजेल अपने भाई माइकल के साथ मौजूद थे। परिवार ने बताया कि हमलावरों ने उन पर नस्लवादी टिप्पणियां की थीं।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इसे भयानक नफरती अपराध बताया। उन्होंने कहा कि नफरत अचानक नहीं पैदा होती। वर्षों से युवाओं में विषैले संदेश और गैर-जिम्मेदाराना विमर्श के जरिए इसे भरा जा रहा है। राहुल गांधी ने कहा कि भारत डर और गाली-गलौज वाला नहीं, बल्कि प्यार और विविधता वाला देश है। हमें अपने समाज और देश के लिए सच का सामना करना होगा।
