क्या आप जानते हैं कि अगर पर्सनल लोन लेने वाले की हो जाए मौत तो कौन चुकाएगा यह कर्ज?

जिंदगी में इमरजेंसी कभी भी आ सकती है। अचानक बीमारी इलाज या किसी जरूरी खर्च के समय सेविंग कम पड़ जाए तो पर्सनल लोन लोगों…

n6947574781766905422118d43b38c69606d60ddc5ecde4f91322fd029ce903d15df427220e3ffd8f1b730c

जिंदगी में इमरजेंसी कभी भी आ सकती है। अचानक बीमारी इलाज या किसी जरूरी खर्च के समय सेविंग कम पड़ जाए तो पर्सनल लोन लोगों को लेना ही पड़ता है।


अच्छी बात यह है कि पर्सनल लोन लेने के लिए किसी गारंटी, संपत्ति को गिरवी रखने की जरूरत नहीं होती लेकिन सबसे अहम सवाल यह है कि अगर पर्सनल लोन लेने वाले व्यक्ति की मौत हो जाए तो बाकी बचा हुआ कर्ज कौन चुकाएगा ?
पर्सनल लोन को अनसिक्योर्ड लोन कहा जाता है।

यानी इसके बदले बैंक के पास कोई मकान, जमीन या गाड़ी जैसी गिरवी नहीं होती। यही वजह है कि उधारकर्ता की मौत के बाद बैंक सीधे किसी संपत्ति को जब्त नहीं करता, बल्कि तय नियमों के अनुसार आगे की कार्रवाई करता है।


आजकल कई बैंक और फाइनेंस कंपनियां पर्सनल लोन के साथ लोन प्रोटक्शन इंश्योरेंस का विकल्प भी देती है। अगर लोन लेने वाले ने या इंश्योरेंस लिया है और उसकी मृत्यु हो जाती है तो बैंक बीमा कंपनी से इसका क्लेम करता है।


पॉलिसी की शर्तों के अनुसार बीमा कंपनी बकाया लोन के राशि चुका देती है और लोन का खाता बंद हो जाता है। ऐसे में परिवार पर किसी तरह का आर्थिक बोझ नहीं पड़ता है। हालांकि ध्यान देने वाली बात यह है कि बीमा अनिवार्य नहीं है बल्कि वैकल्पिक होता है।


अगर मृतक ने पर्सनल लोन पर कोई बीमा नहीं लिया है तो बैंक उसकी छोड़ी हुई संपत्ति से बकाया रकम वसूल करता है।


इसमें सेविंग अकाउंट का बैलेंस, एफडी, शेयर, म्यूचुअल फंड, सोना या जमीन-जायदाद शामिल हो सकती है। यानी बैंक सिर्फ उतनी ही रकम ले सकता है, जितनी संपत्ति मृतक ने छोड़ी हो।
यह जानना भी जरूरी है कि मृतक के परिवार या नॉमिनी को पर्सनल लोन चुकाने के लिए मजबूर तो नहीं किया जा रहा जब तक वह सह-उधारकर्ता या गारंटर न हों।

अगर संपत्ति से भी पूरी रकम नहीं निकलती और कोई गारंटर नहीं है, तो कई मामलों में बैंक को उस लोन को नुकसान मानकर राइट-ऑफ करना पड़ता है।


लोन लेने वाले की मौत होने पर परिवार को सबसे पहले बैंक को जानकारी देनी चाहिए और डेथ सर्टिफिकेट जमा करना चाहिए। इसके बाद बैंक अपने नियमों के अनुसार बीमा क्लेम या रिकवरी की प्रक्रिया शुरू करता है। सही समय पर सूचना देने से परिवार को अनावश्यक मानसिक तनाव से बचाया जा सकता है।

Leave a Reply