पाकिस्तान में इन दोनों संस्कृत में मंत्र गूंज रहे हैं। पाकिस्तान की लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ़ मैनेजमेंट साइंस ने 3 महीने तक संस्कृत पर चली वर्कशॉप के बाद अब संस्कृति पर कोर्स शुरू करने दिया है।
LUMS ने संस्कृत पर कोर्स शुरू करने का फैसला तब लिया है, जब 3 महीने तक चली संस्कृत वर्कशाप में बड़ी संख्या में छात्र और प्रोफेशनल्स शामिल हुए। संस्कृत पर कोर्स शुरू करने के बाद LUMS की तैयारी अब रामायण और गीता-महाभारत पर रिसर्च शुरू करने की है।
पाकिस्तान में स्थित लाहौर यूनिवर्सिटी आफ मैनेजमेंट साइंस में बीते 3 महीने से संस्कृत पर वर्कशॉप हो रही है। इस वर्कशॉप में संस्कृत व्याकरण से लेकर पुराने तक के अध्ययन पर चर्चा की जा रही है। पाकिस्तान में संस्कृत का यह पाठ अंग्रेजी से आजादी मिलने के बाद पहली बार हुआ है।
पाकिस्तान स्थित लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंस (LUMS) ने संस्कृत पर वर्कशाप के बाद संस्कृत पर यूनिवर्सिटी स्तर का कोर्स शुरू किया है। ये चार-क्रेडिट का कोर्स है। ये रेगुलर यूनिवर्सिटी कोर्स है। हालांकि इसमें सीटें सीमित हैं, लेकिन साल 2027 में इस कोर्स में सीटें बढ़ाने की योजना है, तो वहीं ये संस्कृत डिप्लोमा कोर्स के तौर पर पढ़ाया जाएगा।
पाकिस्तान से लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ़ मैनेजमेंट साइंस की तैयारी रामायण, गीता- महाभारत पर कोर्स शुरू करने की भी है।
यूनिवर्सिटी के गुरमानी सेंटर के डायरेक्टर डॉ. अली उस्मान कासमी कहते हैं कि आने वाले10 से 15 साल में पाकिस्तान से संस्कृत, गीता और महाभारत पर रिसर्च करने वाले विद्वान तैयार होंगे।
डॉ. कासमी पाकिस्तान के लिए संस्कृत और दों की पढ़ाई को जरूरी बताते हैं। उन्होंने कहा कि कई इतिहासकार यह मानते हैं कि इस क्षेत्र में वेदों की रचना हुई है ऐसे में संस्कृत और वेदों की पढ़ाई जरूरी है। वह कहते हैं किLUMS में अभी पंजाबी, पश्तो, सिंधी, बलूची, अरबी और फ़ारसी पढ़ाई जा रही है, जबकि संस्कृत से इन भाषाओं के कई शब्दों की जननी है। संस्कृत पढ़ने से पूरे भाषाई इकोसिस्टम को मजबूती मिलेगी।
जानकारी के मुताबिक LUMS में संस्कृत की प्राचीन पांडुलिपियां हैं। इन पांडूलिपियों को ताड़पत्रों में साल 1930 में विद्वान JCR Woolner ने संग्रह किया है। हालांकि 1947 के बाद इन पर कभी हाथ तक नहीं लगाया गया है।
