मुकेश अंबानी जब उस पुरानी कोला कंपनी को खरीदकर मैदान में उतरे थे, तभी यह अंदाजा होने लगा था कि पेप्सी और कोक जैसी बड़ी कंपनियों के लिए आने वाला समय आसान नहीं रहने वाला है। अब जो नए आंकड़े सामने आए हैं, उनसे यह बात और साफ हो गई है कि देश के सॉफ्टड्रिंक मार्केट में एक बड़ा बदलाव तेजी से आकार ले रहा है।
देश का लगभग 60 हजार करोड़ का बाजार इस समय जिस दिशा में बढ़ रहा है, उसे देखकर लगता है कि कैंपा ने अपनी एक अलग जगह बनानी शुरू कर दी है। ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि लंबे समय से दबदबा बनाए हुए पेप्सी और कोक की पकड़ अब पहले जैसी मजबूत नहीं रह गई है, और दोनों कंपनियों के लिए चिंता बढ़ाने वाली गिरावट दर्ज की जा रही है।
उद्योग से जुड़े सूत्र नीलसनआईक्यू के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि जनवरी से सितंबर 2025 के बीच छोटी कंपनियों की संयुक्त हिस्सेदारी लगभग दोगुनी हो गई है, और यह बढ़कर करीब 15 फीसदी तक पहुंच गई है। यह वही अवधि है जब कोका कोला और पेप्सिको की बाजार पर कब्जे वाली हिस्सेदारी करीब 93 फीसदी से घटकर 85 फीसदी तक आ गई। यह बदलाव तब दर्ज हुआ है जब नए ब्रांड अभी पूरी तरह नेशनल लेवल तक नहीं पहुंचे हैं, और गर्मियों में बारिश की वजह से सेल्स पर असर भी पड़ा है।
कैंपा के साथ बढ़ती लोकप्रियता में लाहौरी ज़ीरा का नाम भी तेजी से सामने आ रहा है। कंपनी ने अपने ब्रांड को आगे बढ़ाने के लिए बड़े विस्तार की तैयारी कर ली है, और अब अगले साल नेशनल लेवल तक पहुंचने की योजना बनाई जा रही है। पंजाब, फतेहगढ़ साहिब से शुरू हुई यह कंपनी अब लखनऊ में अपना तीसरा प्लांट भी तैयार कर रही है, और नए वेरिएंट जैसे लाहौरी आमरस और मसाला कोला पर भी काम कर रही है।
रिलायंस की कैंपा भी अपनी रणनीति को तेजी से आगे बढ़ा रही है। रिलायंस कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड ने इस साल कई बड़े समझौते किए हैं, जिनमें आईपीएल से लेकर हैदराबाद मेट्रो तक के साथ साझेदारी शामिल है। कंपनी ने अपने ब्रांड को मजबूत करने के लिए अभिनेता राम चरण को एंबेसडर बनाया है, और कई बड़े प्लेटफॉर्म पर कैंपा की मौजूदगी लगातार बढ़ाई गई है।
कैंपा और लाहौरी जैसी कंपनियों की बढ़ती रफ्तार ने पेप्सी और कोक को अपने प्राइस पॉइंट बदलने पर मजबूर कर दिया है। अब कई पैक 10 रुपए की कीमत पर उतारे जा रहे हैं, जिनकी कीमत पहले ज्यादा रहती थी। विश्लेषकों की मानें तो पहले भी छोटे ब्रांड मौजूद थे, लेकिन यह पहली बार है जब बड़े विदेशी ब्रांडों की पकड़ इतनी स्पष्ट तरीके से कमजोर होती दिखाई दे रही है।
पेप्सिको के बड़े बॉटलिंग पार्टनर वरुण बेवरेजेस की ओर से भी स्वीकार किया गया है कि मार्केट में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, और इसका हल्का असर दिखना स्वाभाविक है। हालांकि कंपनी का मानना है कि लंबी अवधि में यह चुनौती पूरी इंडस्ट्री के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।
