देव दीपावली 2025 में रोशनी से नहाई काशी, 84 घाटों पर जले 25 लाख दीप

वाराणसी में बुधवार की शाम आस्था और रोशनी का ऐसा संगम देखने को मिला जिसने हर किसी को मंत्रमुग्ध कर दिया। देव दीपावली के इस…

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वाराणसी में बुधवार की शाम आस्था और रोशनी का ऐसा संगम देखने को मिला जिसने हर किसी को मंत्रमुग्ध कर दिया। देव दीपावली के इस पावन अवसर पर काशी के 84 घाट 25 लाख दीयों की रौशनी से नहा उठे। गंगा के तट पर दीपों की यह सुनहरी झिलमिलाहट दूर तक फैल गई। मानो खुद देवता धरती पर उतर आए हों। घाटों से लेकर गलियों तक हर ओर श्रद्धा और उत्साह का माहौल था।

शाम ढलते ही घाटों पर लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा। लाखों श्रद्धालु इस अलौकिक नजारे के साक्षी बने। इस बार का आयोजन पिछले साल से भी ज्यादा भव्य रहा। वर्ष 2024 में जहां 20 लाख दीये जलाए गए थे वहीं इस बार 25 लाख दीपों से पूरी काशी जगमगा उठी। इनमें से 15 लाख दीयों की व्यवस्था पर्यटन विभाग ने की थी जबकि बाकी 10 लाख दीये स्थानीय समितियों और काशी के लोगों ने अपने स्तर पर जलाए।

इस अद्भुत आयोजन को देखने खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी वाराणसी पहुंचे। उन्होंने नमो घाट पर पहला दीप जलाकर देव दीपावली का शुभारंभ किया। इसके बाद सीएम योगी क्रूज पर सवार होकर घाटों की जगमगाहट का नजारा देखने निकले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस पर्व की शुभकामनाएं देते हुए वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

आसमान में रंग-बिरंगी रोशनी और गंगा किनारे दीयों की कतारें मिलकर एक अद्भुत दृश्य बना रही थीं। लेजर शो और ग्रीन पटाखों की आतिशबाजी ने लोगों को रोमांचित कर दिया। हर-हर महादेव के जयकारों के बीच काशी का हर कोना भक्ति में डूबा हुआ था।

दशाश्वमेध घाट पर इस बार की थीम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ रखी गई थी। यहां 21 अर्चकों और 42 रिद्धि-सिद्धियों ने मां गंगा की भव्य महाआरती की। इसी घाट पर कारगिल युद्ध के शहीदों को नमन करते हुए ‘अमर जवान ज्योति’ की प्रतिकृति भी स्थापित की गई। चेत सिंह घाट पर 25 मिनट का लेजर शो हुआ जिसमें शिव पार्वती विवाह से लेकर भगवान बुद्ध के उपदेशों तक की कथा दिखाई गई। गंगा पार रेत पर ‘शिव तांडव’ की धुन पर ग्रीन पटाखों की आतिशबाजी ने सभी का दिल जीत लिया।

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर को भी फूलों और रंग-बिरंगी लाइटों से बेहद खूबसूरती से सजाया गया था। इस आयोजन को देखने देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी पर्यटक पहुंचे। करीब 40 देशों से आए लोगों ने इस भव्य दृश्य का आनंद लिया। अनुमान है कि लगभग 20 लाख लोग इस अवसर पर काशी पहुंचे। घाटों पर इतनी भीड़ थी कि लोगों को चलने में तकलीफ हो रही थी।

आरती के दौरान दशाश्वमेध घाट पर एक बच्ची गंगा में गिर गई थी लेकिन मौके पर मौजूद एनडीआरएफ के जवानों ने उसे सुरक्षित बाहर निकाल लिया जिससे वहां मौजूद सभी लोगों ने राहत की सांस ली।

देव दीपावली की परंपरा के पीछे एक पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था। इस विजय के उपलक्ष्य में सभी देवता काशी आए और गंगा तट पर दीप जलाकर खुशियां मनाईं। तभी से इस पर्व को देव दीपावली कहा जाता है।