वित्त मंत्रालय के अधिकारी नवजोत सिंह की मौत के मामले में गिरफ्तार की गई गगनप्रीत कौर को अदालत से किसी तरह की राहत नहीं मिली है। बुधवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट अंकित गर्ग ने उसे कोर्ट में पेश किए जाने के बाद उसकी न्यायिक हिरासत बढ़ा दी और अब उसे सत्ताईस सितंबर तक जेल में ही रहना होगा।
सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की ओर से लंबी बहस हुई। गगनप्रीत की तरफ से कहा गया कि इस हादसे में दो और लोग जिम्मेदार हैं जिन्हें आरोपी बनाया जाना चाहिए। वहीं मृतक पक्ष की ओर से साफ कहा गया कि गगनप्रीत की वजह से ही यह पूरी घटना हुई और उसकी नीयत भी सही नहीं थी।
यह हादसा चौदह सितंबर को हुआ था जब नवजोत सिंह अपनी पत्नी के साथ बाइक पर घर लौट रहे थे। रास्ते में बीएमडब्ल्यू से टक्कर के बाद उनकी मौत हो गई। आरोप है कि गाड़ी गगनप्रीत चला रही थी और टक्कर के बाद उसने घायल नवजोत को पास के अस्पताल में न ले जाकर करीब उन्नीस किलोमीटर दूर जीटीबी नगर स्थित अस्पताल पहुंचाया जो उसके रिश्तेदार का है। परिवार का कहना है कि अगर समय रहते पास के अस्पताल में ले जाया जाता तो जान बच सकती थी।
गगनप्रीत की ओर से वकील ने यह भी दलील दी कि बाइक को डीटीसी बस ने भी टक्कर मारी थी और यह सवाल उठाया कि उस बस को जब्त क्यों नहीं किया गया। उनका कहना था कि एक एंबुलेंस भी वहां आई थी लेकिन उसने घायलों को ले जाने से इनकार कर दिया। बचाव पक्ष ने मांग की कि बस चालक और एंबुलेंस चालक दोनों को आरोपी बनाया जाए।
वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने अदालत में सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखने के लिए याचिका दाखिल की जिस पर कोर्ट ने नोटिस जारी कर अगली सुनवाई गुरुवार तय की है।
वहीं शिकायतकर्ता पक्ष के वकील ने कहा कि गगनप्रीत गंभीर रूप से घायल नहीं थी और जानबूझकर घायल को दूर ले गई जिससे समय बर्बाद हुआ। उनका आरोप है कि महिला ने बाद में खुद को अस्पताल में भर्ती कराकर मेडिकल केस भी फर्जी तरीके से बनवाया। वकील ने कहा कि जिस रफ्तार से बीएमडब्ल्यू पलट गई वही बताता है कि गाड़ी कितनी तेज चलाई गई थी। करोड़ों की गाड़ी चलाने वाले खुद तो सुरक्षित रह जाते हैं लेकिन दूसरों की जान चली जाती है।
