देहरादून में भरण पोषण अधिनियम का ऐसा मामला सामने आया जहां बेटे और बहू के खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे साबित हुए हैं और डीएम कोर्ट ने शिकायतकर्ता के खिलाफ फैसला सुनाया। शिकायतकर्ता जो सेवानिवृत्त राजपत्रित अधिकारी हैं, जुलाई में जनता दरबार में व्हीलचेयर पर आए और दावा किया कि उनका बेटा और बहू उनसे मारपीट करते हैं उन्होंने डीएम से भरण पोषण अधिनियम के तहत वाद दाखिल कराने का अनुरोध किया। मामले की फास्ट ट्रैक सुनवाई हुई और जिला मजिस्ट्रेट ने दोनों पक्षों की बातें सुनी
जांच में यह पता चला कि शिकायतकर्ता चलने-फिरने में पूरी तरह सक्षम हैं और उनकी आय उनके बेटे-बहू की तुलना में काफी ज्यादा है पिता अपने अल्प वेतनभोगी बेटे और उसकी पत्नी को फ्लैट से बेघर करने की कोशिश कर रहे थे डीएम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि यह वाद पूरी तरह से बेबुनियाद है और शिकायतकर्ता का मकसद अपने परिवार को परेशान करना था
जांच में यह भी सामने आया कि शिकायतकर्ता ने अपने बेटे-बहू और चार साल की पोती को नुकसान पहुंचाने के लिए लोगों से मारपिट करवाई थी डीएम ने एसएसपी को निर्देश दिए कि वे दोनों पक्षों के निवास स्थान पर महीने में दो बार निरीक्षण करें और यह सुनिश्चित करें कि किसी के अधिकारों का हनन न हो और शांति व्यवस्था भंग न हो डीएम ने भरण पोषण अधिनियम का वाद खारिज कर दिया और बेटे-बहू को उनके घर पर कब्जा दिला दिया मामले में पिता का झूठ खुलते ही सुरक्षा व्यवस्था भी सख्त कर दी गई
