हाल ही में उत्तराखंड के धारली क्षेत्र में बादल फटने की वजह से काफी तबाही हो गई। पहाड़ियां दुर्गम इलाकों में अक्सर ऐसी घटनाएं देखने को मिलती रहती है। इसके अलावा भारत के कई राज्यों में भीषण बाढ़ की समस्या भी पैदा हुई है, जिससे वहां के आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इस स्थिति में बचाव कार्य की जिम्मेदारी आपदा प्रबंधन यानी डिजास्टर मैनेजमेंट विभाग से जुड़े कर्मचारियों की होती है। इस तरह की आपदाओं के कारण हेल्थ सेफ्टी एंड एनवायरनमेंट के क्षेत्र में युवाओं के लिए करियर के अफसर भी तेजी से बढ़ रहे हैं।
ऐसे में अगर आपके अंदर कुछ करने का जज्बा और जुनून है तो आप हेल्प सेफ्टी एंड एनवायरमेंट से जुड़े डिप्लोमा से लेकर ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स करके आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में शानदार करियर बना सकते है।
कोर्स की विविधता
इस क्षेत्र से जुड़ा कोई भी कोर्स करने के लिए आपकी केमिस्ट्री के साथ फिजिक्स या गणित विषय में 50% अंकों का होना अनिवार्य और इसके साथ ही 12वीं एस के समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण होना भी जरूर है।
ट्रेड डिप्लोमा इन हेल्थ सेफ्टी एंड एनवायरमेंट कोर्स 18 महीने का होता है। आप फायर टेक्नोलॉजी एवं इंडस्ट्रियल मैनेजमेंट का सर्टिफिकेट कोर्स भी कर सकते हैं।
इसके अलावा, डिप्लोमा इन हेल्थ सेफ्टी एंड एन्वॉयरन्मेंट, डिप्लोमा इन फायर फाइटिंग, पीजी डिप्लोमा इन फायर एंड सेफ्टी इंजीनियरिंग, बीएससी इन फायर इंजीनियरिंग और रेस्क्यू एंड फायर फाइटिंग जैसे कोर्स के विकल्प भी मौजूद हैं, जिनकी अवधि छह महीने से तीन साल तक होती है। इनमें प्रवेश के लिए ऑल इंडिया एंट्रेंस एग्जाम होता है।
डिग्री के साथ कौशल भी हैं जरूरी
इस क्षेत्र से जुड़ने वालों के अंदर धैर्य और साहस नेतृत्व क्षमता चुनौतीपूर्ण चारों में फैसला लेने की क्षमता भी होना चाहिए। इसके साथ ही शारीरिक योग्यता के तहत पुरुषों की न्यूनतम लंबाई 165 सेंटीमीटर वजन 50 किलोग्राम होना चाहिए जबकि महिलाओं की लंबाई 157 सेंटीमीटर और वजन कम से कम 46 किलोग्राम होना अनिवार्य है आई विजन दोनों के लिए 6/6 होनी चाहिए और उम्र 19 से 23 साल के बीच हो।
यहां मिलेंगे अवसर
आज हर सरकारी और गैर-सरकारी दफ्तरों में एक फायर इंजीनियर की नियुक्ति अनिवार्य कर दी गई है। अग्निशमन विभाग के अलावा आर्किटेक्चर और बिल्डिंग निर्माण, इंश्योरेंस असेसमेंट, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, रिफाइनरी, गैस फैक्ट्री, निर्माण उद्योग, प्लास्टिक, एलपीजी तथा केमिकल प्लांट्स, बहुमंजिली इमारतों व एयरपोर्ट जैसी जगहों पर फायर इंजीनियर्स की खासी मांग है।
प्रमुख संस्थान
दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ फायर इंजीनियरिंग, www.dife.in
इग्नू मैदान गढ़ी, नई दिल्ली, www.ignou.ac.in
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फायर, डिजास्टर एंड एन्वॉयरन्मेंट मैनेजेंट, नागपुर, www.nifdem.com
