इस साल से एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में देश के तीन वीर सैनिकों के जीवन और उनके बलिदान से जुड़ी कहानियां पढ़ाई जाएंगी। इसमें फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा की गाथाएं शामिल की गई हैं। कक्षा आठवीं के उर्दू विषय में सैम मानेकशॉ की कहानी जोड़ी गई है। कक्षा आठवीं के अंग्रेजी विषय में ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान पर आधारित अध्याय पढ़ाया जाएगा। वहीं कक्षा सातवीं के उर्दू विषय में मेजर सोमनाथ शर्मा की कहानी शामिल की गई है।
इन अध्यायों को जोड़ने का मकसद बच्चों को साहस कर्तव्य और देशभक्ति की ऐसी प्रेरक घटनाओं से जोड़ना है जो आने वाली पीढ़ी को जीवन में आदर्श चुनने की राह दिखाए। सैम मानेकशॉ भारत के पहले फील्ड मार्शल थे जिनकी नेतृत्व क्षमता और रणनीतिक सोच की आज भी मिसाल दी जाती है। ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान जिन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया और मेजर सोमनाथ शर्मा जिन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र मिला उन्होंने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर किए।
रक्षा मंत्रालय शिक्षा मंत्रालय और एनसीईआरटी की इस पहल का मकसद राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को देश की एक अहम धरोहर के रूप में स्थापित करना है। इसी के तहत स्मारक और उससे जुड़े प्रसंग अब स्कूल के पाठ्यक्रम का हिस्सा बन गए हैं। इन वीरों की कहानियां न केवल छात्रों को भारतीय सेना के गौरवशाली इतिहास से परिचित कराएंगी बल्कि धैर्य सहानुभूति भावनात्मक समझ और राष्ट्र निर्माण की भावना भी जगाएंगी।
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पच्चीस फरवरी दो हजार उन्नीस को राष्ट्र को समर्पित किया था। यह स्मारक दिल्ली के इंडिया गेट के पास सी हेक्सागोन सेंट्रल विस्टा क्षेत्र में स्थित है। इसका उद्देश्य देश के शहीदों को श्रद्धांजलि देना और नागरिकों में देशभक्ति बलिदान उच्च नैतिक मूल्यों और राष्ट्रीय एकता की भावना को मजबूत करना है।
